गरीबी ने बच्चों को पालनें के लिये चोर बनाया
देहरादून-पुलिस ने दूभाषिये की मदद से पूछताछ पर इनके द्वारा बताया गया कि इनका मेनं लीडर दीपू हैंऔर इसी नें आस पास के सभी लोगों को इक्ठा करके एक गैंग बनाया तथा इसने इनकों गाड़ी का शीशा तोडनें के लिये रबड बैंड व हेयर पिन से गुलेल बनाकर तथा बैयरिंग की लोहे की छोटी गोलियों से गाडी का शीशा तोड़ना सीखाया गया 17 मार्च 2018 को यह सभी लोग तमिलनाडु से तमिलनाडु एक्सप्रेस से चले व सोमवार को आगरा पहुचे उसी दिन आगरा से बस से हरिद्वार के लिये रवाना हुये तथा मंगलवार को 10 बजे करीब हरिद्वार पंहुचे हरिद्वार में खडखडी में निर्धन धर्मशाला में रुके फिर बुद्दवार 21मार्च को हरिद्वारा से देहरादून के लिये बस रवाना होकर 11 बजे के लगभग ISBTदेहरादून पंहुचे वहां से विक्रम में बैठकर सबसे पहले एस्लेहाल पंहुचकर रोड के किनारें पार्किंग में खडी ब्लैक गाडी इन्डेवेरय का शीशा तोड़कर बैग चोरी किया उसके बाद आटो में बैठकर द्रोण होटल के सामनें गांधी रोड़ पर खड़ी दो गाड़ियों के शीशे तोड़कर बैग चोरी किये उसके बाद विक्रम पकडकर राजपुर रोड़ पर बीकानेंर के सामनें खड़़ी गाड़ी का शीशा तोड़कर बैग चोरी कियाा उसके बाद गाड़ी का शीशा तोड़कर बैग चोरी किया तथा एक गाड़ी का शीशा सुभाष रोड़ पर तोड़कर बैग चोरी किया गया इन चोरियों में दो लैपटाप व एक मोबाइल व एक कैमरा ही मिल पाया और जो कपडे़ व कागजात थे उनकों इन्होनें नाली में फेंक दिया इन चोरियो में इनकों कोई नगदी या ज्वैलरी आदि कीमती सामान न मिलनें के कारण यह पुनः घटना करनें की फिराक में थे कि ये पकडे़ गये इनके
बताया गया कि दीपू हमें 2 -2 हजार रुपये देकर लाया है तथा प्रतिदिन एक हजार रुपये और चोरी के सामान में हिस्सा भी देनें को बोला था ।यह सब गाड़ी का शीशा तोड़ने में एक्सपट है, घटना करनें से पहले पार्किगं में खड़़ी गाड़ियों को एक व्यक्ति चैक करता है कि किस गाड़ी में बैग रखा हैं गाड़ी को चिन्हीत करके एक व्यक्ति रबड़ बैंड़ की गुलेल तथा लोहे की गोली से शीशे को क्रेक करता है दूसरा व्यक्ति हाथ में कपडा लपेटकर शीशे को तोड़कर गाड़़ी के अन्दर रखा बैग लेकर निकल जाता है इस बीच गैंग के और सदस्य गाड़़ी के चारों तरफ खडे होकर निगरानी करतें हैं कि कोई गाड़ी के पास तो नही जा रहा है, तथा अपनें सदस्यों को इशारा कर रास्ता साफ होना बताते हैं जिससे दो व्यक्ति जिसमें से एक गुलेल से शीशा क्रेक करता है तथा दूसरा शीशे को तोड़कर बैग निकालकर फरार हो जाते हैं ।इनके द्वारा यह भी बताया गया है कि यह चेन्नई, आगरा, दिल्ली ,हरियाणा, चण्डीगढ, लुधियाना, अमृतसर, उत्तराखण्ड के हरिद्वार, रुडकी व देहरादून में पूर्व में भी कई घटनाओं को अंजाम दे चुकें हैं इन चोरियों में जो भी माल मिलता है यह सब उसको आपस में बाट लेते हैं और वापस तमिलनाडु जाकर सस्ते दामों में बेच देतें हैं ।इनके द्वारा पूर्व में करीव एक वर्ष पहले देहरादून में आकर इसी प्रकार टप्पेबाजी की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया था ।इनके द्वारा बताया कि यह बहुत ही गरीब हैं अपनें बच्चों को पालनें के लिये चोरों का गैगं बनाकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में ट्रेन व बस से घुमकर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देकर रुपया कमातें हैं ।
बताया गया कि दीपू हमें 2 -2 हजार रुपये देकर लाया है तथा प्रतिदिन एक हजार रुपये और चोरी के सामान में हिस्सा भी देनें को बोला था ।यह सब गाड़ी का शीशा तोड़ने में एक्सपट है, घटना करनें से पहले पार्किगं में खड़़ी गाड़ियों को एक व्यक्ति चैक करता है कि किस गाड़ी में बैग रखा हैं गाड़ी को चिन्हीत करके एक व्यक्ति रबड़ बैंड़ की गुलेल तथा लोहे की गोली से शीशे को क्रेक करता है दूसरा व्यक्ति हाथ में कपडा लपेटकर शीशे को तोड़कर गाड़़ी के अन्दर रखा बैग लेकर निकल जाता है इस बीच गैंग के और सदस्य गाड़़ी के चारों तरफ खडे होकर निगरानी करतें हैं कि कोई गाड़ी के पास तो नही जा रहा है, तथा अपनें सदस्यों को इशारा कर रास्ता साफ होना बताते हैं जिससे दो व्यक्ति जिसमें से एक गुलेल से शीशा क्रेक करता है तथा दूसरा शीशे को तोड़कर बैग निकालकर फरार हो जाते हैं ।इनके द्वारा यह भी बताया गया है कि यह चेन्नई, आगरा, दिल्ली ,हरियाणा, चण्डीगढ, लुधियाना, अमृतसर, उत्तराखण्ड के हरिद्वार, रुडकी व देहरादून में पूर्व में भी कई घटनाओं को अंजाम दे चुकें हैं इन चोरियों में जो भी माल मिलता है यह सब उसको आपस में बाट लेते हैं और वापस तमिलनाडु जाकर सस्ते दामों में बेच देतें हैं ।इनके द्वारा पूर्व में करीव एक वर्ष पहले देहरादून में आकर इसी प्रकार टप्पेबाजी की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया था ।इनके द्वारा बताया कि यह बहुत ही गरीब हैं अपनें बच्चों को पालनें के लिये चोरों का गैगं बनाकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में ट्रेन व बस से घुमकर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देकर रुपया कमातें हैं ।
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