श्री बद्री एवं केदारनाथ पौराणिक पैदल मार्गों की खोज
उत्तराखण्ड सांस्कृतिक धरोहर, एक पौराणिक पहचान। स्मृति में धूमिल हो चुके मार्गों को पुनः हमारे समक्ष लाने के लिए एस डी आर एफ ने की अनूठी पहल,एक संकल्प , एक जददोजहद,अनेक यात्राओं के साक्षी रहे ये पैदल मार्ग, जो अनेक स्थानों में टूट गए है, सँकरे हैं।और अनेक स्थानों में हिमालयी सरंचना की उठापटक से अपना भौगोलिक स्वरूप बदल चुके जिन्हें पहचान पाना भी मुश्किल है कि खोज का जिम्मा लिया हैं। राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखण्ड ने,पर्वतारोही निरीक्षक संजय उप्रेती (एवरेस्टर)के नेतृत्व में 20 अप्रैल को एक 15 सस्यीय दल जिसमे दो महिला जवान भी सम्मलित रहे लक्ष्मण झूला ऋषिकेश से अभियान का जय घोष किया, एस डी आर एफ का यह दल अनेक मार्गो को चित्रित करते हुए रुद्रप्रयाग पहुचेगा जहां से दो भागों में विभाजित हो कर श्री केदारनाथ एवम श्री बद्रीनाथ धाम पौराणिक मार्ग से होते हुए पहुँचेगा, एक अनुमान के तहत श्रीकेदार धाम की दूरी 250 से 280 किमी एवम श्री बद्रीनाथ धाम की दूरी 300 किमी के लगभग हो सकती हैं।यह दल मन्दिरों के शीतकालीन कपाट खुलने से पूर्व वहां पहुचेगा यात्र...