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Showing posts from August 21, 2018

गांव के अस्तिव को बचाने के लिए आमरण अनसन पर....

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पौड़ी- उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग हुए 19 वर्ष हो चुके हैं  और इन 19 वर्षों में  पहाड़ के लोगों वही दंश भोग रहे हैं जो उत्तर प्रदेश में रहते हुए भोग रहे थे इसीलिए उत्तराखंड अलग प्रदेश बनाने की यहां के लोगों ने मांग की थी जिससे यहां के पहाड़ों का विकास हो सके लेकिन स्थिति यथावत बनी हुई है,इसी लिए यह लोगों ने राज्य के लिए आंदोलन किया था,लेकिन इस पर देश का दुर्भाग्य है कि सरकार मलिन बस्तियों के लिए अध्यादेश लेकर आई है मगर पहाड़ों में आपदा की मार झेल रहे लोगों की सरकार को कोई चिंता नहीं है, पहाड़ों पर अपने गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए  उत्तराखंड क्रांति दल और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी  शांति प्रसाद भट्ट आमरण अनसन के लिए बैठ गए हैं  और मांग भी कोई  ज्यादा नहीं है, पौड़ी गढ़वाल के यमकेस्वर ब्लाक की ग्राम सभा धमंदा और कोठार के बीच घने जंगल में आमरण अनसन हो रहा है । न कोई नोकरी की मांग न को कोई सड़क स्वास्थ्य शिक्षा बिजली पानी रोजगार स्वरोजगार की मांग यहाँ तो अब आमरण अनसन केवल गांव के अस्तिव को बचाने के लिए हो रहा है । और सरकार है जो सुनने को तैयार नहीं है । यह केसी विडंम्बना है । सड़

मुख्यमंत्री ने बैंगलुरू में गरिमा जोशी से मुलाकात

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बैंगलुरू- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बैंगलुरू में कुमारी गरिमा जोशी से मुलाकात कर उनकी कुशलछेम पूछी। मुख्यमंत्री ने गरिमा जोशी को कहा कि उत्तराखंड के लोगों की दुआएं व शुभकामनाएं उनके साथ हैं। वे जल्द ही स्वस्थ होकर फिर से खेल के मैदान में उतरेंगी और उत्तराखंड को गौरान्वित करेंगी। मुख्यमंत्री ने गरिमा को राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया। गौरतलब है कि अल्मोड़ा की गरिमा जोशी राष्ट्रीय स्तर की 10 किलोमीटर दौड़ में भाग लेने बंगलूरू गई थी जहां सड़क हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस पर मुख्यमंत्री ने गरिमा के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाने के निर्देश दिये थे। उन्होंने गरिमा के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

सीएसआईआर करेगी उत्तराखंड में महत्वपूर्ण संस्थापनों की सुरक्षा

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देहरादून-  भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में          महत्वपूर्ण      संस्थापनों की रक्षा और सुरक्षा" पर सीएसआईआर मिशन मोड परियोजना की एक शुरुआती बैठक आयोजित की गई। यह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की एक बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन मोड परियोजना है जो कि भूकंप रक्षा , सीमा संस्थापनों की सुरक्षा और मानव जनित आपदाओं से निर्माणों की रक्षा के मूल्यांकन से संबंध रखती है। सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) नोडल प्रयोगशाला है और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) ,   रुड़की ;   संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र (एसईआरसी) , चेन्नई ;   केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) ,   चंडीगढ़ ;   केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीईईआरआई) ,   पिलानी प्रतिभागी संस्थान हैं। डॉ . वी.एम. तिवारी ,   निदेशक ,   एनजीआरआई , हैदराबाद ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और परियोजना का महत्व और उत्तराखंड क्षेत्र, जहां प्राकृतिक और मानव जनित आपदाएं गंभीर हैं, इसके लिए  प्रासंगिकता के बारे में अवगत कराया। उन्होंने उल्लेख किया कि परिय

दुर्लभं भारते जन्म, हिमालये तत्र दुर्लभं’’-सरस्वती

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🕉लद्दाख- दो दिवसीय विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता का शुभारम्भ लद्दाख में हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में स्वामी चिदानन्द सरस्वती, इमाम उमर अहमद इलियासी, भिक्खू संघसेना, साध्वी भगवती सरस्वती, डाॅ वन्दना शिवा, अनिल जोशी तथा अध्यात्म, विज्ञान, पर्यावरण जगत के शिखरस्थ वार्ताकारों डब्ल्यू डब्ल्यू एफ, सेना के आर्मी जनरल, विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू एवं अनेक संस्थाओं ने सहभाग किया।विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता को सम्बोधित करतेे हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’’हिमालय, भारत का माथा, मुकुट, ताज, प्रहरी,  शिखर और रक्षा कवच है। जिस हिमालय ने हमें चिंतन करने के संस्कार, संस्कृति, सभ्यता, विरासत और गौरवशाली इतिहास दिया आज उसके लिये चिंता करने की अवश्यकता है। लद्दाख हो या गंगा का गोमुख के ग्लेश्यिर हो सभी स्थानों पर एक जैसी समस्यायें सामने आयी है। क्लाइमेंट चेज के कारण हमारे ग्लेश्यिर पिघलते जा रहे है, कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है और कहीं अत्यधिक वर्षा है। उन्होने कहा कि केदारनाथ की त्रासदी हो या केरल की बाढ़ सभी स्थानों पर लोग समस्याओं का साम