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Showing posts from April 10, 2020

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण को चाहे दो मिनट पहने या दो घंटे

देहरादून– पटेल नगर के इंडस्ट्रियल एरिया में  पी पी ई किट  बनाई जा रही हैं। इस किट को बनाने वाली कंपनी के मालिक अंकित ने बताया कि यह किट एक बार प्रयोग की जाती हैं। और इसको बनाने में काफी समय लगता है, जिस कारण इसकी बहुत ज्यादा कमी भी है।और इसकी देश में मांग भी बहुत अधिक है, क्योंकि जो डॉक्टर इसे पहनकर संक्रमित व्यक्ति के पास इलाज के लिए जाता हैं। है। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण चाहे दो मिनट पहने या दो घंटे पहने जैसे ही डॉक्टर या कोई भी इसे उतार देगा उसके बाद यह इस्तेमाल के लायक नहीं रहती हैं। इसी कारण से इसकी कमी हैं। और मांग ज्यादा है लेकिन वही लॉक डाउन की वजह से कारीगर भी नहीं हैं। जिसकी वजह से इसका प्रोडक्शन भी ज्यादा नहीं हो पा रहा नोवल कोरोनावायरस कोविड-19 के इलाज के लिए मेडिकल टीमों को सबसे ज्यादा पीपीई यानी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण की जरूरत होती हैं। जिसका प्रयोग डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों के इलाज के दौरान करते हैं। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उन्हें वायरस से प्रोटेक्ट करती है। वायरस से प्रोटेक्ट करने के लिए इसे बेहद खास तरीके से बनाया जाता हैं।

दिन में एक बार ही लोगों को खाना मिलता हैं

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देहरादून-  उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के राजपुर थाने की चौकी जाखन चौकी के क्षेत्र में पॉश कॉलोनी जाखन कि हैप्पी कॉलोनी से लगी गब्बर सिंह बस्ती में लॉक डाउन के बाद से ही वहाँ पर रहने वाले मजदूरों को खाने की समस्या  मुंहबॉय खड़ी हैं। बस्ती में लगभग 400 से 500 लोग रहते हैं।वही छोटे बच्चे भी हैं जो खाने के लिए मां बाप को कहते हैं और दूधमुहे बच्चे भी हैं। जिन्हें दूध व पोस्टिक आहार की भी जरूरत होती हैं। लेकिन लॉक डाउन की वजह से उन्हें यह सब चीजें उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।वही लगे लोग कहते है की दिन में केवल एक ही बार खाना नसीब होता हैं।  लोगों ने कहाकि सरकारी मदद हमे नहीं मिली रही हैं। और उन्होंने कहा कि हमे बड़े घर वाले कुछ खाने पीने को थोड़ा बहुत दे देते हैं। लेकिन ना ही किसी नेता ने और ना ही जिला प्रशासन ने हमारे पर ध्यान दिया हैं। ऐसा इन लोगों का कहना हैं। जबकि यहां पर दोपहर का खाना प्रशासन व पुलिस के द्वारा जो की लगभग डेढ़ सौ पैकेट बना हुआ भोजन इस बस्ती में दिन में एक बार लोगों को बांटा जाता हैं। जबकि यहां पर   काफी मजदूर व अन्य लोग रहते हैं।और कुछ ऐसे भी है जो लॉक डाउन ह

होम्योपैथिक पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल फ्रेडिक हैनीमैन की जयंती

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देहरादून–मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल फ्रेडिक हैनीमैन की 265 वी जयंती पर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहाकि होम्योपैथी विश्व भर में अपनी स्वीकार्यता एवं प्रभावकारिता की दृष्टि से एक अग्रणी चिकित्सा पद्धति के रूप में उभरी हैं।होम्योपैथी का इलाज कम खर्चीला एवं प्रभावशाली भी हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने होम्योपैथी के सभी चिकित्सकों को डॉ हैनीमैन जयंती की शुभकामनाएं दी हैं।उन्होंने कहा कि कोविड-19 में भी होम्योपैथी चिकित्सक अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। होम्योपैथी के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा हैं। अनेक प्रकार के रोगों के इलाज के लिए होम्योपैथी काफी कारगर सिद्ध हुई हैं। स्किन, चर्म रोग, पथरी, माइग्रेन एवं पेट से संबंधित रोगों के निदान के लिए होम्योपैथी की दवा लाभकारी सिद्ध हुई हैं। होम्योपैथिक की अनेक औषधियां बनती हैं। उत्तराखंड में आयुष को एक सक्षम स्वास्थ्य सेवा के रूप में विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे है।होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर सुनील कुमार डिमरी न