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Showing posts from July 2, 2020

देवस्थानम बोर्ड द्वारा दूसरे दिन 600 ई -पास जारी

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देहरादून–उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड द्वारा प्रदेश के लोगों के लिए चार धाम यात्रा का आगाज कर दिया गया है। इस क्रम में दूसरे दिन उत्तराखंड देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट www.badrinath-kedarnath.gov. in से 600 लोगों ने ई पास बुक कराये है।जिसमें श्री बदरीनाथ धाम के लिए  216 श्री केदारनाथ धाम के लिए 280 श्री गंगोत्री हेतु 56 श्री यमुनोत्री धाम के लिए 48 लोगों ने ई पास बुक कराये हैं।उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमन रविनाथन ने बताया कि थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजेशन के पश्चात ही मंदिरों में तीर्थ यात्रियों को प्रवेश दिया जा रहा है। मास्क  पहनना अनिवार्य किया गया हैं। मंदिर में मूर्तियों को छूना, प्रसाद वितरण पर रोक है तथा घंटियों को पहले ही  कपड़ो से ढका गया है। देवस्थानम बोर्ड के यात्रा मार्गो पर यात्री विश्राम गृहों को यात्रियों के आवासीय प्रयोजन के लिए खोला जा चुका है। तीर्थयात्रियों से अपेक्षा की जा रही है कि अति आवश्यक होने पर ही धामों में रूके। यह कोशिश रहे कि दर्शन के पश्चात तीर्थ यात्री निकटवर्ती स्टेशनों तक वापस आ जाये।

लोकगायक जीत सिंह नेगी के नाम पर होगा संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह का नाम

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देहरादून– हरिद्वार बाईपास पर आकाशवाणी भवन के निकट संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह का नाम उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक और गीतकार स्वर्गीय जीत सिंह नेगी के नाम पर रखा जाएगा।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संस्कृति विभाग के देहरादून स्थित प्रेक्षागृह का नाम उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक और गीतकार स्वर्गीय जीत सिंह नेगी के नाम पर रखे जाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय  जीत सिंह नेगी उत्तराखंड के लोक संगीत का प्रमुख स्तम्भ थे। गढ़वाली लोकगीत को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाने का सबसे पहले श्रेय जीत सिंह नेगी को ही जाता है। वर्ष 1947 में एचएमवी ने उनके गीतों को उन्हीं की आवाज में रिकॉर्ड किया था। उन्होंने लोक कलाओं की अनेक विधाओं में योगदान दिया। वे लोक कलाकार के साथ रंगकर्मी भी थे। उनके गीतों में पहाड़ की भावनाएं महसूस की जा सकती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय जीत सिंह नेगी को श्रद्धांजलि स्वरूप प्रेक्षागृह का नाम उनके नाम पर किया जा रहा है। संस्कृति के क्षेत्र में वे सदैव प्रेरणा स्त्रोत बने रहेंगे। हरिद्वार बाईपास पर आकाशवाणी भवन के निकट स्थित संस्कृति व