नन्ही दुनिया ने अपना 74 वां स्थापना दिवस मनाया

देहरादून – नन्ही दुनिया बच्चों एवं उनके हितैषियों के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन ने मदरहाउस इंदर रोड पर प्रतिबद्धता का 74 वां वर्ष मनाया। 1946 में स्थापित, नन्ही दुनिया अपने विभिन्न केंद्रों के माध्यम से  शिक्षा, कला और पर्यावरण के क्षेत्र में सेवारत है।यह बच्चों, माता-पिता, शिक्षकों और स्वयंसेवकों का एक बढ़ता समुदाय है जो एक-दूसरे के लिए सीखने के अवसर पैदा करते हैं। आंदोलन का उद्देश्य बच्चों के समग्र विकास में मदद करके उन्हें रचनात्मक जीवन और अंतर-अनुशासनात्मक शिक्षा में भाग लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना है। नन्ही दुनिया शैक्षिक चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चों एवं के विशेष बच्चों को  दिशा दिखाने  में अग्रणी हैं।

सूर्योदय के साक्षी बनने के लिए खलीला पहाड़ियों के पास औली रायपुर में नन्ही दुनिया समुदाय के सदस्यों के साथ उत्सव शुरू हुआ। सात दशकों से यह अनुष्ठान संस्थापक दिवस समारोह का एक हिस्सा रहा है, जहाँ बच्चे, शिक्षक, स्वयंसेवक और नन्ही दुनिया समुदाय के सदस्य एक साथ 'प्रभात फेरी' में भाग लेते हैं। इस वर्ष महामारी की स्थिति के कारण एक छोटे समूह ने आत्मीय यात्रा में भाग लिया। डी.वाई.एस पी श्री अनिल शर्मा जी ने उनकी मेजबानी की। उन्होंने नन्ही दूनिया के भविष्य के प्रयासों के लिए नन्ही दुनिया को  सम्पूर्ण  सहयोग देने का वादा किया। इस अवसर पर समूह ने कठिन परिस्थितियों  के दौरान सभी सावधानियों का पालन करते  हुए वन्देमातरम, चले चलो और अन्य नन्ही दुनिया  बच्चों के आशावादी गीत गाए। तत्पश्चात बिना आडंबर के समुदाय के सदस्यों ने इस कार्यक्रम को चिह्नित करने लिया हवन संपन किया। इसके बाद प्रेरक भाषण, भजन और गीत प्रस्तुत किए। वरिष्ठ सदस्यों ने विभिन्न व्यक्तियों द्वारा अनमोल योगदान को स्वीकार करते हुए और नन्ही दुनिया आंदोलन के भविष्य के लिए साझा दृष्टिकोण और योजनाओं को स्वीकार करते हुए, नन्ही दुनिया की नींव की कहानियों पर दोबारा गौर किया। 75 वें वर्ष के जश्न के लिए विस्तृत योजना भी मुख्य शिक्षा समन्वयक आलोक उल्फत द्वारा आगे लाई गई । उन्होंने आंदोलन के उद्देश्यों और उद्देश्यों के बारे में भी बात की और नन्ही दुनिया के अद्वितीय शैक्षिक दृष्टिकोण के बचपन और प्राकृतिक सहज ज्ञान युक्त प्रक्रियाओं के महत्व पर जोर दिया। नन्ही दुनिया समावेशी और लचीला शिक्षा के साथ काम करती है। इस अवसर पर बोलते हुए, विजय गोयल ने कहा कि बच्चों को खेल और मार्शल आर्ट के माध्यम से बहादुर बनने के लिए भी शिक्षित करना चाहिए। उन्होंने यह कहकर सभी को प्रेरित किया कि भारतीय संस्कृति में हमारे सभी देवता रक्षा के साधन से लैस हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से सच्चाई और मानवता की रक्षा करने की भावना का आश्वासन देते हैं। इस अवसर पर मुख्य प्रवर्तक किरान यू गोयल ने जोर दिया कि प्रत्येक बच्चे को अत्यधिक ध्यान दिया जाना चाहिए और उनके बचपन के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। बच्चे के समग्र विकास में भारी शैक्षणिक और प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं आवश्यक नहीं हैं। नन्ही दुनिया को दुनिया भर में शिक्षाविद व्यक्तियों और शैक्षिक समुदायों द्वारा मान्यता प्राप्त है।नन्ही दुनिया के संस्थापक प्रोफेसर लेखराज उल्फत एवं साधना उल्फत के शैक्षिक विचारों पर भी मंथन किया गया।इस शुभ अवसर पर सात्विक गोयल, गुंजन सेठी,  ओजस्या सोहम उल्फत, रोहित शुक्ला, अमन अरोड़ा, दीया सहगल, अभिमन्यु कोचर,  उर्मिला ठाकुर और  अभिषेक कुमार शामिल थे।

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