पतंजलि में धूमधाम से मनाया गया महर्षि धन्वन्तरि जयन्ती पर्व
हरिद्वार – हमारी परम्परा महर्षि पतंजलि, चरक, सुश्रुत व धन्वन्तरि की परम्परा रही है तथा हम इन्हीं की परम्परा के वंशज हैं। हम सब उनके प्रतिनिधि, प्रतिरूप, उत्तराधिकारी व ऋषि परम्परा के संवाहक हैं। उक्त उद्गार महर्षि धन्वन्तरि की जयन्ती के उपलक्ष्य में पतंजलि योगपीठ-। स्थित यज्ञशाला में आयोजित कार्यक्रम के दौरान योगगुरु स्वामी रामदेव ने व्यक्त किए। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने उपस्थित पतंजलि परिवार के साथ-साथ समस्त देशवासियों को महर्षि धन्वन्तरि जयन्ती की शुभकामनाएँ दी।इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि दीपावली तथा होली हमारे मुख्य पर्व हैंं। जिनमें यज्ञों का विधान है। दीपावली पर शारदीय नवसस्येष्ठी यज्ञ तथा होली पर फाल्गुनी नवसस्येष्ठी यज्ञ में धान्यों का आधान करने की परम्परा रही है। स्वामी रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग केवल एक विषय नहीं है अपितु सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। योग करने वालों का चरित्र, दृष्टि, आचरण, वाणी तथा व्यवहार शुद्ध व पवित्र होता है। योग पर वैज्ञानिक प्रयोग ...