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Showing posts from July 16, 2018

थराली व घाट में अतिवृष्टि व भूस्खलन से 41 परिवार प्रभावित

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चमोली - थराली, घाट व चमोली क्षेत्र में अतिवृष्टि व भूस्खलन के कारण 41 परिवार प्रभावित हो गये। राजस्व, आपदा प्रबन्धन एवं पुलिस की संयुक्त टीमों द्वारा प्रभावित स्थलों का निरीक्षण किया जा रहा है। वही विभिन्न सडकें व पैदल मार्ग बन्द हो जाने के साथ ही 8 पैदल पुलिया तथा 01 मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गये। सडक निर्माणदायी संस्थाओं द्वारा सडक खोलने की कार्यवाही गतिमान है।  जिलाधिकारी आशीष जोशी ने सुबह 4ः00 बजे जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र में घटना स्थलों की जानकारी लेते हुए आईआरएस से जुड़े अधिकारियों के साथ थराील व घाट तहसील क्षेत्र की स्थिति की समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए रेस्क्यू के लिये क्षेत्र में टीमों को भेजने के निर्देश दिये। इसके बाद जिलाधिकारी सुबह थराली क्षेत्र में घटना स्थलों का जायजा लेने पहॅुचे। कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक घटना पर निगरानी रखी जा रही और प्रभावित क्षेत्रों में आपदा राहत तथा अन्य कार्यो को और अधिक तेजी से कराये जाने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।जनपद में थराली व घाट तहसील में अतिवृष्टि व भूस्खलन से 41 परिवार प्र

पेड़ लगाएंगे नदी को बचाएंगे- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

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अल्मोड़ा-सुख, समृद्वि और हरियाली का प्रतीक हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कांटली में कोसी नदी के संरक्षण हेतु किये जा रहे वृहद वृक्षारोपण अभियान का शुभारम्भ किया।मुख्यमंत्री ने  कहा कि भगवान शंकर की तपस्थली रूद्रधारी से इस पवित्र कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। 167755 (एक लाख सड़सठ हजार सात सौ पचपन) पौधों का रोपण जन सहभागिता के माध्यम से करने का कीर्तिमान स्थापित हो रहा है। प्रदेश सरकार ने देहरादून में स्थित रिस्पना नदी(ऋषिपर्णा) व ऐतिहासिक जनपद अल्मोड़ा में कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। इस अभियान की शुरूआत विश्व प्रसिद्व पर्यटन स्थल कौसानी के समीप से की जा रही है जिससे इसका संदेश पूरे विश्व में फैलेगा। इसी तरह आगामी 22 जुलाई को देहरादून में रिस्पना में 2.50 लाख पौधे रौपे जाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी को नदी के संरक्षण हेतु इन रोपित पौधों की 5 वर्षों तक विशेष रूप से रक्षा करने के साथ-साथ नदी की सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके उपरान्त बाल विद्या मन्दिर में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार जल संरक्षण

मुख्यमंत्री ने सभी यात्रियों को हरेला पर्व की बधाई दी

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अल्मोड़ा- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा के 9वें दल के यात्रियों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। उन्हांने यात्रा मार्गों में उचित व्यवस्थायें करने का आश्वासन दिया और कहा कि यात्रा को सफल एंव सुगम बनाने के लिये प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। यात्रियों को किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करने पडे इसके लिये अधिकारियों को निर्देश पूर्व में ही जारी किये गये थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी यात्रियों को हरेला पर्व की बधाई दी और कहा कि हरियाली के इस प्रतीक पर्व पर प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगाने का संकल्प लेना चाहिए।  मौसम साफ होने के पश्चात ही यह दल अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ के लिए प्रस्थान करेगा। इस दल में कुल 54 यात्री शामिल है जिनमें 42 पुरूष एवं 12 महिलायें शामिल है। 54 सदस्यीय इस दल में 14 राज्यों के यात्री शामिल है। इसमें 02 लाइजनिंग ऑफिसर श्री रोशन लाल शर्मा एवं श्री रमेश कुमार नेगी है। इस दल में आन्ध््रा प्रदेश के 01, दिल्ली 03, गुजरात 14, कर्नाटक 02, केरल 01, मध्यप्रदेश 05, महाराष्ट्र 06, राजस्थान 07, तमिलनाडु 01,तेलंगाना 04, उत्तराखण्ड 01,

वनों का संरक्षण त्यौहार मनाकर करते थे हमारे पूर्वज-डॉ सोनी

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टिहरी-वन हमारे धरोहर है जिनका संरक्षण करना आवश्यक हैं इसी विचारधारा के तहत राजकीय इण्टर कॉलेज मरोड़ा (सकलाना) में वृक्ष मित्र अभियान के त्वताधान में धूमधाम से हरेला पर्व प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ त्रिलोक चन्द्र सोनी, वनबीट अधिकारी सौंग हीरासिंह पंवार व पूर्व प्रधान धनसिंह नेगी की गरिमामय उपस्थिति में मनाया गया, जिसमे विभिन्न प्रजाति के पौधे तेजपात, क्रिसमस ट्री, बॉस, गुडहल का रोपण किया गया और सभा के माध्यम से छात्र छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन व वृहद पौधारोपण के लिए जागरूक व प्रेरित किया गया।        वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहाकि वन हमारे धरोहर हैं इनकी सुरक्षा हमारे पूर्वजों ने त्यौहारों से जोड़कर किया हैं ताकि पौधों को भावनाओं से जोड़कर वनों का संरक्षण हो सके इसीके तहत हरेला पर्व मनाया जाता था ताकि हमारा सीधा संबंध इन रोपित पौधों से हो सके जबकि उस समय शिक्षा का उतना प्रसार प्रचार भी नही था फिरभी हमारे पूर्वजों ने त्यौहारों से जोड़कर पौधों का रोपण किया जिसका खासा उदाहरण हरेला त्यौहार हैं हमेभी वनों का संरक्षण अपने पूर्वजों की भांति धरोहर में अपने आनेवाली पीढ़ी को रख