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इस रैबार से ठीक "रैबार" नहीं गया 'साहब'..!

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योगेश भट्ट के फेसबुक वॉल से--जंगल में मोर नाचा किसने देखा.. किसने देखा.. ? जी हां, उत्तराखंड का भविष्य तय करने के लिए आयोजित हुए "रैबार 2017" का हस्र कुछ ऐसा ही रहा । रैबार तो सिर्फ नाम भर कर रहा, बाकी तो यह पूरा सत्ता और सितारों का मिलन और 'पावर शो' रहा । कुछ नामचीन हस्तियों का जमावड़ा तो जरूर लगा लेकिन 'रैबार' यानि संदेश 'राजमहल' की दीवारों के पीछे ही गुम होकर रह गया। हो सकता है 12 घंटे तक 'राजमहल' में चले 'रैबार' में बड़ी काम की बातें हुई हों। अपनी जड़ो से दूर जाकर कामयाब 'पहाड़ियों' ने बड़ी बड़ी काम की बातें की हों । सरकार को भी विकास के रोजगार के संसाधन बढ़ाने के,और पलायन रोकने के 'मंत्र' दिये हों ।लेकिन सवाल यह है कि किसने सुने वो मंत्र और किसने की उन पर चर्चा, जैसा कि उम्मीद की जा रही थी अगर वाकई यह 'रैबार' एक समुद्र मंथन की मानिद था, तो कौन था वहां जो यह 'रैबार' प्रदेश भर में पहुंचाता ?कौन यह बताता कि मंच से जो 'मंत्र' उत्तराखंड के भविष्य को लेकर या यूं कहिए नए उत्तराखंड की नीवं रखने को लेकर बां...