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Showing posts from November 21, 2018

पार्षद प्रत्याक्षी का ही मतदाता सूची में नाम हटा

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देहरादून–नगर निगम के वार्ड संख्या 64 के निकाय चुनाव की मतदाता सूचि में पार्षद प्रत्याक्षी दीप्ति रावत बिष्ट ने राजनीतिक षड्यंत्र के तहत मतदाता सूची में नाम न होने पर निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन सौपा है। दीप्ति रावत बिष्ट ने बताया की उनका नाम मतदाता सूचि से राजनीतिक षड़यंत्र के तहत गायब किया गया है। जिसके लिए उन्होंने निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट को ज्ञापन सौपा है। बता दें कि नगर निगम देहरादून के वार्ड नंबर 65, जहाँ से उन्होंने पार्षद पद हेतु नामांकन किया था वही उनका जन्मस्थान है। उनके आस पास के सभी घरों के निवासियों का नाम मतदाता सूचि में है जबकि उनके घर से बी एल ओ का घर मात्र 5 घरों की दूरी पर है, और इसी गाँव में होने की वजह से वह उन्हे बचपन से जानता है। इसके बावजूद उनका नाम मतदाता सूचि से गायब है। दीप्ति रावत ने कहा कि वह 20 वर्षो से इसी क्षेत्र में सामजिक कार्य कर रही  और बड़े-छोटे राजनीतिक दलों से दूरी बनाते हुए शराब-खनन व भू माफिया के कुत्सित इरादों के खिलाफ आंदोलनरत रही। इसीलिए क्षेत्र के नागरिको ने उन्हे चुनाव में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसकी पुष्टि सोश

जनता ने त्रिवेंद्र सरकार को दिया संदेश

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देहरादून– उत्तराखंड में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव  से मोदी सरकार की 2019 की तैयारी को लेकर उत्तराखंड में लगी उम्मीदों को निकाय चुनावों के नतीजों से गहरा झटका लगा है।देवभूमि उत्तराखंड के  मतदाता पर अमूमन चुनावी लहरों का असर कम ही रहता है लेकिन यहाँ का मतदाता हर मतदान में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय जरूर देता है।राज्य के निकाय चुनावों के नतीजों में मतदाताओं के बड़े रोचक फैसले सामने आये हैं। वैसे तो पूरे राज्य भर में ऐसी तस्वीर देखने को मिलेगी लेकिन हम अगर इन चुनिंदा क्षेत्रों में नज़र डालें तो ये बात स्वतः स्पष्ट हो जाएगी कि जनता ने त्रिवेंद्र सरकार को क्या संदेश दिया है और क्या  समझने का प्रयास किया है। प्रदेश भर के कुल नतीजों में मतदाताओं का एक संदेश तो स्पष्ट है कि वो भाजपा से खुश नही है और दूसरी ओर कांग्रेस ये गलतफहमी न पाल ले कि मतदाताओं का उनकी ओर रुझान है। बड़ी संख्या में निर्दलीयों पर भरोसा जता कर मतदाताओं ने देवभूमि को माफियाओं, ठेकेदारों और दलालों से बचाने की गुहार की है।रानीखेत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर हुई हार को किसी चुनावी विशेषज्ञ से पूछने की आवश्यकता नही है। अ