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Showing posts from May 29, 2019

मेरे मन्नत मांगने के बाद यह सम्भव हुआ कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने- खेर

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ऋषिकेश -परमार्थ निकेतन गंगा तट पर पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा में अपने नौ साल के बेटे के साथ सूफी गायक कैलाश खेर ने टीम के साथ सहभाग किया।  व्याप्त समस्याओं यथा स्वच्छता, स्वच्छ जल, नदियों का संरक्षण, शौचालय के प्रति जागरूकता, प्लास्टिक मुक्त विश्व का निर्माण, गौ संवर्धन, वृक्षारोपण, बढ़ते ई कचरे के प्रति जागरूकता, शाकाहारी जीवनचर्या, कुपोषण, महिला सशक्तिकरण, शादी से पहले शिक्षा, बाल विवाह के प्रति जागरूकता, दहेज प्रथा, नशा मुक्त भारत, भू्रण हत्या के प्रति जागरूक करने एवं समाधान प्रस्तुत करने हेतु संदेश प्रसारित किये जा रहे है तथा सभी को संकल्प दिलवाया जा रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि आज भारत सहित पूरे विश्व को एकता, समरसता, भाईचारा और सद्भाव की जरूरत है। हम सभी भेदभाव से ऊपर उठकर सब एक होकर यह सोचे कि हम सभी भारतीय है तथा सभी एक परमात्मा की संतान है। हम सभी मिलकर देश की एकता, अखण्डता, समरसता और सद्भाव के लिये काम करे। आज इस देश को वास्तव में किसी चीज की आवश्यकता है तो वह है स्वच्छता, समरसता और सजगता यह कि इस देश में सद्भ

फैलोज़ ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों को समझा

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लद्दाख –  नरोपा फैलोशिप के तत्वावधान में फैलोज़ ने भारत के हिमालय क्षेत्र में स्थायी विकास एवं संरक्षण के मॉडलों का व्यापक अध्ययन किया। फैलोज़ को अशोका ट्रस्ट फॉर रीसर्च इन इकोलोजी एण्ड एनवायरनमेन्ट के नेतृत्व में हिमालय की जैव विविधता को समझने का मौका मिला। पर्यावरण संरक्षण एवं स्थायी विकास के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना इसका मुख्य उद्देश्य है ,  इस पाठ्यक्रम के तहत फैलोज़ को अपने चारों ओर की जैव विवधता को समझने ,  दस्तावेजों के विकास के तरीकों को जानने तथा इको-टूरिज़्म प्रयोजन के लिए इस्तेमाल करने की जानकारी दी गयी। नरोपा फैलोज़ को हिमालयी क्षेत्रों के पर्यावरण संरक्षण की भी विस्तृत जानकारी दी गयी। महामहिम द्रुकपा थुकसे रिनपोचे सह संस्थापक नरोपा फैलोशिप ने बताया कि नरोपा फैलोज़ छात्रों को ऐसे सरल नागरिक विज्ञान प्रोटोकॉल्स से परिचित कराया गया ,  जो भारत के हिमालयी प्रणाली को समझने में मदद करते हैं ,  उन्हें प्राकृतिक वनस्पति विज्ञानी या इतिहासकार के रूप में हिमालयी क्षेत्रों को समझने तथा इको-टूरिज़्म एवं सांस्कृतिक पर्यटन में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जलवायु