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Showing posts from April 20, 2018

स्वच्छ पर्यावरण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण

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ऋषिकेश- केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे परमार्थ निकेतन पहुंचे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती  से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी ने अश्विनी कुमार चौबे से स्वच्छता, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं पर्यावरण सम्बंधी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही उत्तराखण्ड़ के चार धाम पर्यटन के लिये उचित स्वास्थ सेवायें उपलब्ध कराना, युवाओं में बढ़ती नशे की आदतों पर रोक थाम, स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वभौमिक पहुंच हो, पोषक तत्व की कमी से उत्पन्न कुपोषण की दर को घटाना तथा युवाओं को योग और ध्यान के लिये प्रेरित करना जिससे उनकी  चिंतन शैली को सकारात्मक दिशा मिल सके, हेतु कार्यशालाओं के आयोजन पर चर्चा की। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’स्वास्थ्य सुखद जीवन का प्रथम सोपान है। स्वच्छता और स्वच्छ पर्यावरण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है। स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु योग को आत्मसात करना नितांत आवश्यक है। वसुधैव कुटुम्बकम‘ को साकार करने के लिये योग एक साधन है। योग, व्

पालीथीन से रस्सियां, टोकरियां, पर्स, चटाईयां,पायदान ......

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रुद्रप्रयाग: श्री बदरीनाथ - केदारनाथ मंदिर समिति के रुद्रप्रयाग यात्री विश्राम गृह में केयर - टेकर मेहरबान सिंह बुटोला (उम्र 55) ग्राम -बस्टा, जखोली,जिला रुद्रप्रयाग  1982 से नौकरी के साथ- साथ पर्यावरण संरक्षण को समर्पित हैं।उनके इस पुनीत कार्य में विश्राम गृह प्रबंधक किशन त्रिवेदी का उनको निरंतर सहयोग रहता है। विश्राम गृह की निष्प्रयोज्य सामग्री टूटी बाल्टियों, टब, मग, टंकियों,आदि में मिट्टी भर कर 50 से अधिक अौषधीय पौधे तैयार कर अभी तक सैकड़ों, हजारों लोगों को निशुल्क वितरित कर पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा चुके हैं, खराब हुई जैविक सामग्री से खाद तैयार की है तो राम बांस, निष्प्रयोज्य पालीथीन से रस्सियां, टोकरियां,कूड़ेदान, पर्स, चटाईयां,पायदान बनाये हैं। उनके लगाये पैड़ पौधों जड़ी- बूटियों की लहलहाती पौध से मंदिर समिति विश्राम गृह की शोभा कई गुना बढ़ गयी है। यहां की हवा तरोताजा हो गयी है फलस्वरुप रुद्रप्रयाग आने वाला एवं श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ जानेवाले आगंतुक, यात्री मंदिर समिति के रुद्रप्रयाग विश्राम गृह में रुकना चाहते है तथा बुटोला जी की नर्सरी को जरुर देखते हैं। और उनसे सीख लेन