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Showing posts from August 11, 2017

पुस्तक " कालौडांडा : ए मिस्ट्री इन द फाग" का लोकार्पण

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देहरादून।साहित्यिक व सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध संगठन पदचिह्न परिवार के तत्वाधान में  कर्नल राम सिंह बिष्ट की सद्य प्रकाशित पुस्तक " कालौडांडा : ए मिस्ट्री इन द फाग" का भव्य लोकार्पण गढ़ी कैंट स्थित डीएसओआई क्लब में हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तथा उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने किया और कहा कि लैंसडाउन अपनी नैसर्गिक सुन्दरता और मौसम की विविधता के रहते  हमेशा देश का मुख्य पर्यटन स्थल बना रहेगा।ब्रिटिश काल में स्थापित यह नगर आज भी शिक्षा का केंद्र बना हुआ है और गढ़वाल की तमाम लोकप्रिय प्रतिभाओं का लैंसडाउन से गहरा रिश्ता— नाता है। लैंसडौन के आसपास ताड़केश्वर धाम, रिखणीखाल, कालेश्वर, भैरवगढ़ी आदि हमेशा लोकप्रिय व कालजयी स्थल बने रहेंगे।भले ही आज मसूरी जैसे नगर अतिक्रमण के चलते अपना वैभव खोने लगे हैं। स्व.ब्रिगेडियर बलवंत सिंह बिष्ट की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बिष्ट ने कर्नल राम सिंह बिष्ट की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय कराया।संदीप एम खनवलकर ने कालोडांडा : ए मिस्ट्री इन द फाग का प्रभावी रिव्यू श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया

दृष्टिहीन दिव्यांग संतराम और उनकी पत्नी को मदद की दरकार

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मित्रो ये धौलछीना अल्मोड़ा के रहने वाले दृष्टिहीन दिव्यांग पति-पत्नी श्री संत राम  और आनंदी देवी हैं। अल्मोड़ा के आकाशवाणी केंद्र से जनपद अल्मोड़ा-बागेश्वर-पिथौरागढ़-चम्पावत के 4 जनपदों की जनता ने दशकों तक इनको नियमित रूप से आकाशवाणी  अल्मोड़ा के माध्यम से सुना होगा। यह बात ज्यादा पुरानी नहीं है सिर्फ 10 साल पहले तक कुमाऊँ के गांव - गांव में रेडियो मनोरंजन का मुख्य साधन था, गांवों में दिन में रेडियो के सेल धूप में सुखाकर कभी  संत राम और श्रीमती आनंदी देवी के लोकगीत सुनकर मनोरंजन करते थे तो शाम को बीबीसी न्यूज़ सुनकर देश दुनिया के समाचारों से हम वाकिफ होते थे कुमाऊँ लोकगीतों की सुपर स्टार दिव्यांग पति पत्नी के पास ना रहने को घर है, ना सोने को बिस्तर है, बरसात में टूटे हुए जर्जर टपकते 1 कमरे में बिना सोये रात काट रहे हैं। समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली पेंशन भी आधार कार्ड ना बन पाने के कारण बंद हो गयी है। जिस कारण ये दंपति धौलछीना के छोटे से बाज़ार में सड़क पर स्थानीय लोगों को अपने लोकगीत सुनाकर अपना पेट पाल रहे हैं, आजकल बरसात के दिनों में कभी भूखे पेट सोने को मजबूर हैं तो कभी स्थ