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Showing posts from September 13, 2017

हम जो दूसरो को देंगे,वहीं लौट कर आयेगा...चाहे वो इज्जत, सम्मान हो, या फिर धोखा..

गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था.. एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा.. वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था.. शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया,और दुकानदार से चायपत्ती,चीनी,तेल और साबुन वगैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया.. किसान के जाने के बाद - .. .दुकानदार ने मक्खन को फ्रिज़र मे रखना शुरू किया.....उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए, वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 gm. का निकला, हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 gm.के ही निकले। अगले हफ्ते फिर किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा..दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा: दफा हो जा, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ शख्स से कारोबार करना.. पर मुझसे नही।900 gm.मक्खन को पूरा एक kg.कहकर बेचने वाले शख्स की वो शक्ल भी देखना गवारा नही करता.. किसान ने बड़ी ही "विनम्रता" से दुक

रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में उतरे दून मुस्लिम समाज

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देहरादून-बर्मा में रोहिंग्या मुस्लिम कौम पर फौज और भिक्षुओं के जरिए हो रहे जुल्म को लेकर देहरादून के मुसलमानों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा  मांग की है कि म्यांमार बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों पर वहां की फौज और भिक्षुओं द्वारा हो रहे जुल्म के खिलाफ  भारत सरकार बर्मा सरकार से बात करें और इस पर दबाव बनाकर वहां हो रहे अत्याचार को रोकने में की कोशिश करें अगर वह लोग इसको नहीं मानते हैं तो अपने संबंध भी बर्मा से तोड़ लिया जाए और जो लूटे पीटे मुसलमान हमारे देश में अमन के लिए शरण लिए हुए हैं उन्हें यही पर रहने दिया जाए जब तक कि बर्मा में हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं संयुक्त राष्ट्र से बातचीत की जाए और म्यांमार में अमन फौज को भेजा जाए ताकि वहां पर अच्छे हो रहे अत्याचार को  रोका जाए और अमन बहाली

पिरूल से तारपिन आॅयल और उसके कचरे से बाॅयोफ्यूल बनाएगा-आईआईपी

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देहरादून मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में सीएम आवास में उत्तराखण्ड सरकार एवं इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ पेट्रोलियम (आईआईपी) के मध्य पिरूल से तारपिन आॅयल और उसके कचरे से बाॅयोफ्यूल तैयार करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बनी। इसके लिए शीघ्र ही एमओयू किया जायेगा। एमओयू में मुख्य सचिव  एस.रामास्वामी एवं निदेशक आईआईपी डाॅ.अंजन रे हस्ताक्षर करेंगे।राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किये जायेंगे। पिरूल एकत्रित करने वालों को इंसेटिव भी दिया जायेगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल किया जायेगा। तारपिन आॅयल एवं बाॅयोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल एवं जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक चरण में प्रतिदिन 40 टन पाइन निडिल की आवश्यकता पड़ेगी। जिसे पंचायतों एवं गांवों से खरीदा जायेगा