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Showing posts from May 1, 2022

पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम को प्रस्थान हुई

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उखीमठ ( रूद्रप्रयाग) – पंचकेदार गद्दस्थल  श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से भगवान केदारबाबा की पंचमुखी डोली ने आज प्रात:  9.35 बजे केदारनाथ धाम हेतु प्रस्थान कर लिया है इस अवसर पर दानीदाताओं ने  श्री ओंकारेश्वर मंदिर  को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया है सेना की मराठा रेजीमेंट की भक्तिमय स्वर लहरियों के साथ  श्रद्धालुजनों द्वारा जय भोले के उदघोष करते  डोली आशीष- दर्शन देते हुए प्रथम पड़ाव श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। कल  1 मई शाम श्री केदारनाथ धाम के क्षेत्रपाल भकुंट श्री भैरव नाथ जी की पूजा संपन्न हुई। आज प्रात:  मराठा रेजीमेंट की बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ जय बाबा केदार, ऊं नम्  शिवाय के उदघोष के साथ श्री केदारनाथ  भगवान की पंचमुखी डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से श्री केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान हुई है। प्रथम पड़ाव श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचने से पहले चुन्नी, विद्यापीठ, गुप्तकाशी बाजार में डोली  पर फूल वर्षा कर स्वागत हो रहा है।  मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि  3 मई द्वितीय पड़ाव फाटा, 4 मई तृतीय पड़ाव  गौरीकुंड, 5 मई को पंचमुखी डोली श्री

मां सुरकंडा देवी मंदिर में रोपवे सेवा का हुआ संचालन

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  टिहरी – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सिद्धपीठ मां सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे सेवा का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने इसके बाद मां सुरकंडा देवी मंदिर में पूजा- अर्चना कर प्रदेश की सुख एवं समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी टिहरी को निर्देश दिए कि इस क्षेत्र में स्थाई हेलीपेड के निर्माण के लिए भूमि चिन्हित की जाय।सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए लगभग 05 करोड़ की लागत से बने  रोपवे की लंबाई 502 मीटर है। इसकी क्षमता  लगभग 500 व्यक्ति प्रति घंटा है। सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे सेवा, उत्तराखंड के  राज्य के गठन होने के बाद पहली महत्वपूर्ण रोपवे परियोजना है। जिसका निर्माण राज्य पर्यटन विभाग द्वारा किया गया है। सुरकंडा रोपवे सेवा  शुरू होने से श्रद्धालु कद्दूखाल से मात्र 5 से 10 मिनट में सुगमता पूर्वक साल भर मां सुरकंडा देवी के दर्शन कर सकेंगे।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि  मां सुरकंडा देवी के लिए रोपवे सेवा शुरू होने से  श्रद्धालुओं  को दर्शन करने में सुगमता होगी। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी। राज्य में धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन को भी