उत्तराखंड में विलुप्ति के कगार पर पंहुची 'वनराजी' जनजाति
पिथौरागढ़- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में देश और दुनिया से कटा ऐसे गांव जहां संसाधनों के अभाव में जीवन गुजारते वनराजी जो मुख्यधारा से कटा हुऐ हैं जिनकी दुनिया अपने 22 परिवार के बीच बसी हुई हो और उन्हें दुनिया से कोई सरोकार नहीं बस अपनी ही भाषा बोली में जीते यह वनराजी गांव कुटा चौराणी, ब्लॉक दीदीहाट, जिले पिथौरागढ़ यहां वनराजी समुदाय के 22 परिवार हैं और आबादी मात्र110 है। जो उत्तराखंड की सबसे पिछड़ी कही जाने वाली और विलुप्ति के कगार पर पंहुची 'वनराजी' जनजाति , वनराजी उत्तराखंड और नेपाल की सीमा के दोनों ओर काली नदी के इर्दगिर्द जंगलों के बीच रहते हैं. लगभग डेढ़ दशक पहले तक ये पक्के घरों के बजाय गुफाओं में रहते थे. कुछ जन संगठनों और सरकारी प्रयासों से अब इन्हें आवास मिले हैं मगर भू स्वामित्व के लिए अब भी इनका संघर्ष जारी हैं. भाषा-बोली के आधार पर शेष उत्तराखंडी समाज में इनकी जड़ों को खोज पाना खासा मुश्किल होगा. घुमंतू संग्राहकों से कुछ ही आगे पहुंचे इन आदिवासियों के ज्यादातर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं. नजदीकी मोटर अड्डे से यहां पह...