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Showing posts from December 24, 2017

गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के समर्थन में मौन जुलूस’

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देहरादून-- गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर देहरादून में निकला मौन जुलूस इन्द्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की ली शपथ उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अगुआ और जन-जन के बीच पर्वतीय गांधी के नाम से जाने जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की जयंती के अवसर पर  देहरादून में ‘गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के समर्थन में मौन जुलूस’ निकला गया। मौन जुलूस में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भागीदारी की जिनमे सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की थी। गांधी पार्क से शुरू हुआ मौन जुलूस पहले घंटाघर स्थित बडोनी की प्रतिमास्थल पहुंचा जहां जुलूस में शामिल लोगों ने बडोनी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। इसके बाद सभी ने उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सपने के अनुरूप गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने की शपथ ली। इसके बाद मौन जुलूस कचहरी स्थित शहीद स्थल पहुंचा। जुलूस में शामिल लोगों ने राज्य आंदोलन के शहीदों के चित्रों पर फूल चढ़ाए और गैरसैंण के पक्ष में नारे लगाए। शहीदस्थल में एक गोष्ठी भी आयोजित की गई। सभी वक्ताओं ने गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया।

गैरसैंण राजधानी के लिए निकाला जुलूस

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रुद्रप्रयाग-- गैरसैंण स्थाई राजधानी का आंदोलन अब उग्र रूप लेता जा रहा है। रुद्रप्रयाग में सैकड़ों की संख्या में लोग गैरसैंण राजधानी के लिए सड़कों पर उतर आए। इस दौरान जनगीत यात्रा के साथ जूलस-प्रदर्शन किया गया। गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष मोर्चा के बैनल तले गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर रुद्रप्रयाग बाजार में ढोल-नगाड़ों के साथ जनगीत यात्रा निकाली गई। यात्रा में संगम बाजार से बड़ी संख्या में आंदोलनकारी शरीक हुए। सभी ने एक स्वर में गैरसैंण राजधानी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद बस अड्डे पर आंदोलनकारियों की एक सभा हुई। सभा की अध्यक्षता करते हुए राज्य आंदोलनकारी इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि हमारे लिए गैरसैंण राजधानी का मतलब सिर्फ राजधानी नहीं है। यह रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य का सवाल है। हमारे संसाधनों पर हमारा अधिकार हो, यह इसकी भी लड़ाई है। राज्य का आंदोलन इन्हीं सवालों को लेकर शुरू हुआ था और आज भी हमें बुनियादी सुविधाओं के संघर्ष करना है। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन का मतलब सिर्फ हंगामा खड़ा करना नहीं है, व्यवस्थित, सोच-समझ और वैचारिक दृष्टि को

उत्तराखंड का गाँधी इन्द्रमणि बडोनी

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देहरादून- इन्द्रमणि बडोनी  का जन्म 24 दिसम्बर 1925 को तत्कालीन टिहरी रियासत के भिलगना ब्लॉक के अखोड़ी गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. सुरेशानन्द बडोनी था। बडोनी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई और अपनी माध्यमिक व उच्च शिक्षा के लिए नैनीताल और देहरादून चले गये। शिक्षा प्राप्ति के बाद अल्पायु 19 वर्ष में ही उनका विवाह सुरजी देवी से हो गया।बडोनी, डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से स्नातक की डिग्री लेने के बाद आजीविका की तलाश में बम्बई चले गये। लेकिन स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उन्हें वापस गाँव लौटना पड़ा। तब उन्होंने अखोड़ी गाँव और जखोली ब्लाक को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया।  1953 में गांधी की शिष्या मीरा बेन टिहरी के गाँवों के भ्रमण पर थीं। जब अखोड़ी पहुँच कर उन्होंने किसी पढ़े-लिखे आदमी से ग्रामोत्थान की बात करनी चाही तो गाँव में बडोनी  के अलावा कोई पढ़ा-लिखा नहीं था। मीरा बेन की प्रेरणा से ही इन्द्रमणि बडोनी सामाजिक कार्यों में तन-मन से समर्पित हुए। 1961 में वे गाँव के प्रधान बने और फिर जखोली विकास खंड के प्रमुख। बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा में तीन बार देव प्रयाग क्ष