केदारनाथ में नयी आपाद को आमंत्रित करने ....
देहरादून--क्या गलतियों का पिटारा गुजराती भाई सुहाग मोदी के लेसर शो की तरह , कथित गुजराती वास्तुविद , निकुल शाह, केदारनाथ मंदिर की विशिष्ठ वास्तु शैली को समाप्त कर केदारनाथ में नयी आपाद को आमंत्रित करने का कारण बनेंगे ? वर्तमान मंदिर के निर्माण का समय - पुरातत्वविद डा0 वाई0 एस0 कटोच के अनुसार , वर्तमान मंदिर 12 वीं शताब्दी में बना। इससे पूर्व भी यहां मंदिर रहा होगा, लेकिन संभवतया बर्फीले तृफान में यह टूट गया होगा। डा0 कटोच ने माना कि, लगभग 200- 250 साल तक मंदिर ध्वस्त रहने के बाद मंदिर वर्तमान स्वरुप में बना।निर्माण शैली - केदारनाथ मंदिर मध्य हिमाद्री शैली के अन्र्तगत ‘‘ छत्र रेखा शिखर प्रासाद शैली’’ में निर्मित है। यह शैली ऊंपरी गढ़वाल की विशिष्ठ शैली है। जमीन पर यह मंदिर वर्गाकार है।क्या मंदिर को जीवित शरीर माना जायेगा? राजा भोज द्वारा रचित ‘‘समरांगण सूत्रधार ’’ जो उत्तरीय शैली के मंदिरों के लिए मूल ग्रंथ है के अनुसार मंदिर को ‘‘प्रासाद पुरुष’’’ याने जीवित शरीर माना गया है और मंदिर के भीतर स्थापित मूर्ति को ‘‘ जीवा उच्च्ययते’’ याने उस शरीर (प्रासाद पुरुष ) ...