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Showing posts from August 25, 2019

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हुआ

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देहरादून–उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड की 7वीं राज्यपाल के रूप में  शपथ ग्रहण की। 26 अगस्त, 2019 को बेबी रानी  मौर्य  कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूर्ण हो रहा है।  राज्यपाल का पद संवैधानिक पद हैं। और राज्य का शीर्षस्थ पद है। पिछले एक वर्ष में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन किया हैं। और सदैव इस बात को महत्व दिया हैं। कि राज्य में एक लोकप्रिय चुनी हुई सरकार हैं।जिसको संवैधानिक मर्यादाओं और दायित्वों की सीमा में रहते हुए मार्गदर्शन प्रदान करना है।  राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के पास एक लम्बा प्रशासनिक और सार्वजनिक जीवन का अनुभव रहा है जिसकी पूरी छाया उनके प्रथम वर्ष के कार्यकाल में दिखी। बेबी रानी मौर्य प्रारंभ से ही महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए समर्पित रही हैं। राज्यपाल पद पर कार्यभार ग्रहण करने के एक माह के भीतर ही उन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि निवास कर वहाँ लोगों से मुलाकात की। उन्होंने जनपदों की महिलाओं, किसानों तथा जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और वहाँ की समस्याओं के साथ-साथ वहाँ की संभावन

एक घटना ऐसी भी जो अंधेरे में हाथ पांव मारते हुए अपने मुकाम पर पहुंची

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उत्तरकाशी – "गर हौसले हो बुलंद अपनी तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं" इस बात को सत्यार्थ करती है उत्तराखंड एसडीआरएफ की टीम 2013 में गठित एसडीआरएफ की टीम ने ना जाने कितने ही कठिन से कठिन रेस्क्यू कर अपने हौसलों को परस्त नहीं होने दिया और उसी में एक ऐसे युवक को उसके परिवार से मिलाया जहां उस युवक को अपने राज्य माता-पिता किसी भी चीज की याद नहीं थी थी तो केवल एक छोटी सी याद के उसके घर के पास से जहाज उड़ते थे उसी एक माध्यम से एसडीआरएफ ने युवक को उसके परिवार से मिलाया। पढ़ें एक घटना ऐसी भी जो अंधेरे में हाथ पांव मारते हुए अपने मुकाम पर पहुंची और 13 साल के काट रहे बनवास को पूर्ण कर शिवाजन को मिला उसका घर का पता सुने कहानी आपदा में काम करें  रहें एस डी आर एफ के जवान कुलदीप सिंह से उन्ही की जुबानी हैं।  आपदा के दौरान जब एस डी आर एफ टीम  हिमाचल सीमांत गाँव किरानू आराकोट .में रेस्कयू कार्य कर रही थी तभी  21 अगस्त को एस डी आर एफ  के जवान कुलदीप सिंह के सम्पर्क  एक युवक आया, जो देख रहा था कि आपदा से पीड़ित प्रत्येक ग्रामीण इन्हें अपनी समस्या बता रहा है, ओर उनका निदान्त करने की हर सम्भव कोश