Posts

Showing posts from January 30, 2020

अधिकारियों को व्यवहार कुशल व दुःखियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए

Image
देहरादून–राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से राजभवन में उत्तराखण्ड सिविल एवं राज्याधीन सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों के बैच ने शिष्टाचार भेंट की। 48 अधिकारियों का यह दल अभी ए.टी.आई नैनीताल में तीन माह का आधारभूत(फाउण्डेशन) प्रशिक्षण ले रहा है। इन अधिकारियों में डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, वित्त अधिकारी, जेल अधीक्षक, सहायक नगर आयुक्त, सहायक आयुक्त(कर) आदि सेवाओं के अधिकारी सम्मिलित हैं।  राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें निष्पक्षता के साथ बिना किसी भेदभाव के लोगों की सेवा करनी चाहिये। प्रशिक्षु अधिकारी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यपाल ने कहा कि अधिकारियों को राजनैतिक नेतृत्व के साथ ताल-मेल बनाकर कार्य करना चाहिये लेकिन कभी किसी के अनैतिक दबाव में नहीं आना चाहिये। अपने दायित्वों का नियमों-कानूनों के अधीन जनहित की भावना को सर्वोपरि रखते हुए पालन करना चाहिए। अधिकारियों को व्यवहार कुशल तथा गरीबों-दुःखियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने महिला अधिकारियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि वे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करें तथा उनकी आवाज बनें। राज्यपाल

हिमालयवासी पर्यावरण और जल बचाकर पूरे देश की सेवा करते हैं

Image
देहरादून–राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि हिमालय देश को अमूल्य पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा है। हिमालय का संरक्षण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये। विकास और संरक्षण एकतरफा नहीं होना चाहिये, हिमालयवासी पर्यावरण और जल बचाकर पूरे देश की सेवा करते हैं इसीलिये इसके बदले में स्थानीय निवासियों की चिन्ता करनी होगी। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के संसाधनों को संरक्षित रखते हुए यहाँ की महिलाओं, किसानों, युवाओं की आजीविका और उनकी समृद्वि की राह निकालनी जरूरी है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में आयोजित ‘‘हिम संवाद’’ कार्यक्रम के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित किया। सेवा इन्टरनेशनल संस्था द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित ‘‘सत्त विकास लक्ष्यों’’ में हिमालयी दृष्टिकोण पर विचार मंथन हेतु यह दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की प्रमुख भूमिका है। हमें यह भी ध्यान देना होगा कि हिमालयी क्षेत्रों में महिलाओं को कैसे परिवर्तन का वाहक बनाया जाय। यहाँ की महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों क