फिल्‍म स्‍क्रीनिंग में फ़ि‍ल्म 'द बुक थीफ़' शहीद स्थल हॉल (कचहरी) देहरादून।

'दून सिनेफाइल्स' की ओर से फ़ि‍ल्म शो और बातचीत की अगली कड़ी में 2013 में आयी ब्रायन पर्सीवल की फ़ि‍ल्म 'द बुक थीफ़' हिटलर-कालीन नाजी जर्मनी में अपने दत्तक माता-पिता के साथ रहने वाली एक किशोर लड़की की कहानी है। अपने दत्तक पिता से पढ़ना सीखने के बाद उसे किताबें पढ़ने का चस्का लग जाता है। वह किताबें ''चुराने'' लगती है और अपने घर में छिपाकर रखे गये यहूदी शरणार्थी के साथ मिलकर उन्हें पढ़ती है। मगर वह समय ऐसा था जब किताबों की होलियाँ जलाई जा रही थीं और हर सुन्दर, कोमल, मानवीय चीज़ ख़तरे में थी।फिल्म दिखाती है कि किस तरह नाज़ी फासिस्ट देश-भक्ति के नाम पर बहुसंख्यक जर्मन जनता की आम-सहमति को अपनी अतिवादी सामूहिक हत्याओं के समर्थन में ढालने के लिये मीडिया प्रपोगेण्डा और विरोधियों के खिलाफ़ अत्याचार का सहारा ले रहे थे और आलोचना करने वाली हर आवाज़ को कुचलने के लिये सेंसर लगा रहे थे, जिसके तहत वैचारिक लेखों और किताबों की होली जलाने के लिये बच्चों-नौजवानों को उकसाया जा रहा था, कलाकारों और पत्रकारों को डराया धमकाया जा रहा था और उनपर सेंसर लगाया जा रहा था या उनकी हत्याएं की जा रही थी।

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