प्रधानमंत्री बनारस में थे पर बेटियों से मिलने के बजाय रास्ता बदलकर निकल गये।
बीएचयू की छात्राओं के आन्दोलन के समर्थन और उन पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में आज देहरादून के गांधी पार्क में विभिन्न जनसंगठनों, नागरिकों, नौजवानों और बुद्धिजीवियों ने जन-प्रतिरोध सभा किया और एक प्रस्ताव रखा कि बीएचयू के कुलपति को बर्खास्त किया जाये, संघर्षरत छात्र-छात्राओं की माँगों को तुरन्त पूरा किया जाये और छात्राओं के शांतिपूर्ण आन्दोलन पर बर्बर लाठी चार्ज करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ तुरन्त कार्रवाई की जाये। इसके साथ ही सभी विश्वविद्यालयों में स्त्री उत्पीड़न
सेल का गठन किया जाये।वक्ताओं ने कहा कि बीएचयू में छात्राओं का इतना संगठित आंदोलन लम्बे समय से चली आ रही स्त्री विरोधी घटनाओं, उसपर प्रशासनिक उदासीनता व असंवेदनशीलता और स्त्री विरोधी मानसिकता के खिलाफ उनके जेहन में लगातार पल रहे गुस्से का प्रतीक है। इसके बावजूद भी बीएचयू प्रशासन अपनी स्त्री विरोधी ''संघी मनोवृत्ति'' पर ही अड़ा हुआ है और लगातार उनके आंदोलन का दमन करने और आतंक कायम करके उनके आंदोलन को तोड़ने का प्रयत्न कर रहा है जिसका जवाब छात्र-छात्राओं ने अपनी जुझारू एकजुटता और संघर्ष से दिया है। प्रतिरोध सभा को लखनऊ से आयी हुईं कवयित्री कात्यायनी, मीनू जैन , कमलेश खंतवाल, हिमांशु, प्रेम सी जैन, अमित राना, अरुण पंत, अपूर्व आदि ने संबोधित किया। प्रतिरोध सभा का संचालन कविता कृष्णपल्लवी ने किया। इसके अतिरिक्त प्रतिरोध सभा में प्रतिभा कटियार, अश्वनी त्यागी, शमीम अहमद, मदन मोहन चमाली, गीतिका, कुलदीप, सतीश धौलाखंडी, शंकर गौतम, फेबियन, ए के कटारिया, संजीव घिल्डियाल के अतिरिक्त बड़ी संख्या में युवा नागरिक मौजदू थे। तेज़ बारिश के बावजूद सभा देर तक चली। विभिन्न जनसंगठनों के कार्यकर्ता, छात्र-छात्राएँ, नौजवान और नागरिक - सभी इस घटना से बेहद आक्रोश में थे।
वक्ताओं ने इस घटना की निन्दा करते हुए कहा कि अपनी जायज मांगों के लिए संघर्षरत लड़कियों को सुरक्षा देने के बजाय उनपर लाठीचार्ज कराया जाना , उन्हें डराना धमकाना बेहद शर्मनाक है। अब जबकि छात्राएं सड़कों पर उतर आयी हैं तो सनातनी मूल्यों का ठेकेदार बना बी एच यू प्रशासन और एंटी रोमियों का हल्ला मचाने वाली प्रदेश सरकार उनपर घृणित हमले करा रहा है। घटिया स्त्री विरोधी मानसिकता से ग्रस्त ए बी वी पी के अगुआई में छात्रों गुण्डा गिरोह और भगवा शिक्षक ही नहीं कैम्पस के अनेक रीढ़विहीन शिक्षक भी उनके साथ है। बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ का जुमला उछालने वाले प्रधानमंत्री दो दिन से बनारस में मौजूद थे लेकिन अपनी संसदीय क्षेत्र की सैकड़ों बेटियों से मिलने के बजाय रास्ता बदलकर निकल गये। स्त्रियों दलितों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बना देने के लिए उनपर लगातार हमले किये जा रहे हैं। अगर हम आज इस जुल्म के खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरेंगे तो कल हमारा भी नम्बर आयेगा और तब कोई बोलने के लिए नहीं बचेगा।
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