गर्मी में बिजली का झटका

देहरादून--अगले महीने से उत्तराखंड की जनता पर बिजली विभाग की मार बढ़ जाएगी गर्मी में पसीना सुखाने के लिए देना पड़ेगा ज्यादा बिल क्योंकि आपके बिल में हो रहा है इजाफ़ा और घट जाएगा कमर्शियल का बिल, उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा उत्तराखण्ड में विद्युत की दरों में पिछले 5 वर्षों में सबसे कम बढ़ोत्तरी की गयी है। नियामक आयोग द्वारा प्रदेश में विद्युत दरों का पुनरीक्षण करते हुए नई दरें स्वीकृत की गयी। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए विद्युत दरों को पुनरीक्षित किया जाता है। आयोग द्वारा इस वर्ष के लिए विद्युत दरों को पिछले 5 वर्षों की तुलना में सबसे कम मात्र 2.35 प्रतिशत बढ़ाया गया है। उत्तराखण्ड आज भी देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाला राज्य है। आयोग द्वारा ऊर्जा उत्पादन, पारेषण और अन्य बढ़ते खर्चों के बाद भी बेहद तार्किक रूप से विद्युत कीमतों का निर्धारण किया गया है। आयोग द्वारा विद्युत दरों में व्यवहारिक रूप से कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। आयोग द्वारा कुछ श्रेणियों की विद्युत दरों को पूर्व की भाँति ही रखा गया है।
विद्युत नियामक आयोग द्वारा बी0पी0एल0 श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए फिक्स्ड चार्ज में कोई परिवर्तन न करते हुए एडिशनल एनर्जी चार्ज में रू0 0.11/kWh की बढ़ोत्तरी की गयी है, जबकि बी0पी0एल0 श्रेणी के उपभोग क्षमता को 30 kWh प्रतिमाह से बढ़ाकर 60 kWh प्रतिमाह कर दिया गया है। 100 यूनिट तक उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ता, जो अब तक अतिरिक्त ऊर्जा शुल्क सहित औसतन रू0 3.20/ kWh का भुगतान कर रहे थे, को अभी भी औसतन रू0 3.20/ kWh का ही भुगतान करना होगा।
विद्युत नियामक आयोग द्वारा घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिये पूर्व निर्धारित 6 श्रेणियों को कम कर के 4 श्रेणियों के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। अब यह श्रेणियाँ इस प्रकार होंगी। 100 यूनिट तक प्रतिमाह, 101 यूनिट से 200 यूनिट,201 यूनिट से 400 यूनिट ,400 यूनिट से अधिक
पी.टी.डब्ल्यू. श्रेणी (प्राईवेट ट्यूब वैल) के उपभोक्ताओं के लिए भी विद्युत दरों को रू0 1.75/ kWh से बढ़ाकर रू0 1.84/ kWh किया गया है। जिसमें व्यवहारिक रूप से नाम मात्र का परिवर्तन किया गया है। इसी प्रकार मिनीमम कंजप्शन गारंटी (एम.सी.जी.) को सभी श्रेणियों के लिए समाप्त कर दिया गया है। औद्योगिक उपभोक्ता यदि अपने उपभोग को पीक आवर से आॅफ पीक आवर शिफ्ट कर दें तो इसका लाभ औद्योगिक उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।आयोग द्वारा सरकारी सिंचाई व्यवस्था (जी.आई.एस), पब्लिक वाटर वक्र्स (पी.डब्ल्यू.डब्ल्यू.) और पब्लिक लैम्प्स कैटेगरी को मिलाकर एक ही श्रेणी में रखकर गवर्मेंट पब्लिक यूटिलिटी बना दिया गया है।

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