चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि कि....
देहरादून--उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल ने नववर्ष विक्रम संवत 2075 और चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।उन्होंने कहा नव वर्ष हम सब के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाये हमारी महान भारतीय संस्कृति में विक्रम संवत और चैत्र नवरात्रि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।नव वर्ष के शुभारंभ के रूप में वर्ष प्रतिपदा का यह दिन हमें अपनी महान सांस्कृतिक विरासतों और परम्पराओं की याद दिलाता हैचैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना ।उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय ही नही अपितु सम्पूर्ण सृष्टि का नव
वर्ष है।चैत्र नवरात्रि, शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का नौ दिनों तक चलने वाला महापर्व है। नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2075 (18 मार्च, 2018)चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है। सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया | सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दे इस मांगलिक अवसर पर आपने घरों के द्वार आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ। घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
वर्ष है।चैत्र नवरात्रि, शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का नौ दिनों तक चलने वाला महापर्व है। नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2075 (18 मार्च, 2018)चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है। सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया | सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दे इस मांगलिक अवसर पर आपने घरों के द्वार आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ। घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
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