श्रेष्ठ संकल्पों के साथ हनुमान जयंती मनाई ....
ऋषिकेश- भगवान शिवजी के 11 वें रूद्रअवतार श्री हनुमान जी का जन्म ज्योतिषीयों के गणना के आधार पर 1करोड़ 85 लाख 58 हजार 113 वर्ष पूर्व चैत्र पूर्णिमा को हुआ था। आज इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में विविध गतिविधियां एवं श्रेष्ठ संकल्पों के साथ श्री हनुमान जी की जयंती मनाई गयी।श्री श्री रविशंकर हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर परमार्थ निकेतन आये। परमार्थ निकेतन में ऋषिकुमारों एवं आचार्यों द्वारा श्री श्री रविशंकर का भव्य स्वागत किया गया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती और श्री श्री रविशंकर ने आध्यात्मिक विषयों के साथ पर्यावरण संरक्षण, नदियोें की स्वच्छता, निर्मलता एवं स्वच्छ भारत निर्माण हेतु विभिन्न मुद्दाें पर विस्तृत चर्चा की।श्री हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर दोनों संताें ने माँ गंगा के तट पर दिव्य आरती एवं हवन किया।परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक
स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सानिध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने महास्वच्छता अभियान सम्पन्न किया।श्री हनुमान जंयती के पावन अवसर पर सांय परमार्थ गंगा के तट पर विशाल हनुमान जी की प्रतिमा के सामने हनुमान चालीसा का पाठ एवं भजन भारत सहित दुनिया के कई देशों से आये अतिथियों ने मिलकर किया। सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सानिध्य में सभी साधकों ने जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा ‘रामायण और हनुमान चरित्र’ पर दिये विशेष व्याख्यान में भाग लिया। परमार्थ गंगा घाट पर सुन्दर काण्ड का पाठ का आयोजन किया गया। दिव्य अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वालोें के लिये कहा कि ’हनुमान जी हमारे आदर्श है। हमारा भी एक ही लक्ष्य; एक ही उद्देश्य, बस प्रभु सेवा; जनता जनार्दन की सेवा; पर्यावरण की सेवा। ’राम काज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम।’ जब तक राम काज पूर्ण न हो विश्राम कहाँ। राम सेवा ही हमारा विश्राम बने। प्रभु सेवा ही हमारी शक्ति हो; शान्ति हो।’उन्होने हनुमान जी के चरित्र का वर्णन करते हुये कहा, ‘अनन्य भक्ति एवं निःस्र्वाथ सेवा के उत्कृष्ट उदाहरण है हनुमान जी। प्राणी, प्रकृति एंव पर्यावरण की रक्षा के लिये उनकी सेवायें अद्भुत है। उन्होने जीवन में प्रभु की भक्ति के साथ-साथ सत्य के साम्रराज्य की स्थापना में अमूल्य योगदान दिया।’श्री श्री रविशंकर ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को हनुमान जी से ईश्वर की भक्ति और समर्पण की शिक्षा ग्रहण करना चाहिये। तथा अपने जीवन को गरीबों और असहायों की सेवा ही समर्पित करें यही आज के पर्व का संदेश है साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि ’सेवा, समर्पण एवं त्याग द्वारा प्रभु को आत्मसात करना ही हनुमान चरित्र का मर्म है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी साधकों को प्रकृति, पर्यावरण एवं जल के स्रोतों के संरक्षण का संकल्प कराया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्री श्री रविशंकर को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सानिध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने महास्वच्छता अभियान सम्पन्न किया।श्री हनुमान जंयती के पावन अवसर पर सांय परमार्थ गंगा के तट पर विशाल हनुमान जी की प्रतिमा के सामने हनुमान चालीसा का पाठ एवं भजन भारत सहित दुनिया के कई देशों से आये अतिथियों ने मिलकर किया। सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सानिध्य में सभी साधकों ने जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा ‘रामायण और हनुमान चरित्र’ पर दिये विशेष व्याख्यान में भाग लिया। परमार्थ गंगा घाट पर सुन्दर काण्ड का पाठ का आयोजन किया गया। दिव्य अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वालोें के लिये कहा कि ’हनुमान जी हमारे आदर्श है। हमारा भी एक ही लक्ष्य; एक ही उद्देश्य, बस प्रभु सेवा; जनता जनार्दन की सेवा; पर्यावरण की सेवा। ’राम काज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम।’ जब तक राम काज पूर्ण न हो विश्राम कहाँ। राम सेवा ही हमारा विश्राम बने। प्रभु सेवा ही हमारी शक्ति हो; शान्ति हो।’उन्होने हनुमान जी के चरित्र का वर्णन करते हुये कहा, ‘अनन्य भक्ति एवं निःस्र्वाथ सेवा के उत्कृष्ट उदाहरण है हनुमान जी। प्राणी, प्रकृति एंव पर्यावरण की रक्षा के लिये उनकी सेवायें अद्भुत है। उन्होने जीवन में प्रभु की भक्ति के साथ-साथ सत्य के साम्रराज्य की स्थापना में अमूल्य योगदान दिया।’श्री श्री रविशंकर ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को हनुमान जी से ईश्वर की भक्ति और समर्पण की शिक्षा ग्रहण करना चाहिये। तथा अपने जीवन को गरीबों और असहायों की सेवा ही समर्पित करें यही आज के पर्व का संदेश है साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि ’सेवा, समर्पण एवं त्याग द्वारा प्रभु को आत्मसात करना ही हनुमान चरित्र का मर्म है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी साधकों को प्रकृति, पर्यावरण एवं जल के स्रोतों के संरक्षण का संकल्प कराया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्री श्री रविशंकर को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
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