प्रतिभा को दरकार सरकार से प्रोत्साहन की
देहरादून-- ऑटो चालक सतीश पाल कड़ी मेहनत मशक्कत के साथ काम करने के बाद अपने परिवार का भरण पोषण करता है। वही उसकी बेटियां दौड़ के मैदान में अव्वल आती हैं मगर सतीश पाल की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह बच्चों के खेल पर ज्यादा रुपया खर्च कर सके आज देहरादून के प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान सतीश पाल की आंखें नम हो गई और उन्हें इस बात की मलाल है कि उनकी बेटियां दक्षिण एशियाई देश की चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और सिल्वर मेडल जीतकर आई लेकिन ना तो खेल विभाग ने उनका स्वागत किया और ना ही खेल मंत्री ने सम्मानित करने की सोची वही खेल मंत्री बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं मगर जहां यह बेटियां गोल्ड मेडल और सिल्वर मेडल जीतकर आई हैं तो उन को सम्मानित करने की तो रही उनके स्वागत तक भी नहीं किया गया। और अभी खेल महाकुंभ किया गया जिसमें मंत्री प्रतिभाशाली बच्चों को तलाश रहे थे लेकिन इन बच्चों को भी मंत्री को देखना चाहिए। खेल प्रतिभाएं उत्तराखंड सरकार के द्वारा उपेक्षा किए जाने से बेहद आहत हैं। नेपाल में विगत 16 से 18 फरवरी को संपन्न हुए साउथ एशियन रूरल गेम्स जिसमें दक्षिण एशियाई देशों भारत नेपाल भूटान और बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया इसमें उत्तराखंड की
बालिकाओं ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।प्रदेश की राजधानी देहरादून के शिमला बाईपास से सटे झीवरहेडी इलाके में गरीब परिवार की दो सगी बहनों मनीषा पाल और रश्मि पाल ने अंडर-17 वर्ग में क्रमश: 1500 मीटर और 800 मीटर स्पर्धाओं में स्वर्ण और रजत पदक जीता। इसी वर्ग में उत्तरकाशी जनपद की बालिका रेखा चौहान ने सौ मीटर की स्पर्धा में रजत पदक जीता। वही बालकों की अंडर-14 स्पर्धा में रोहित चंद्र कुनियाल ने न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि बेस्ट एथलीट भी चुने गए।इन सभी खिलाड़ियों के कोच प्रवीण सुहाग ने बताया कि इन प्रतिभाशाली गरीब बच्चों ने देश और प्रदेश का सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है, लेकिन नेपाल से लौटने के बाद से अभी तक उत्तराखंड सरकार ने इन प्रतिभाओं की कोई सुध नहीं ली। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश सरकार से प्रतिभाओं का उत्साह बढ़ाने एवं सभी खेल प्रतिभाओं को तत्काल सम्मानित करने एवं आर्थिक मदद देने हेतु वार्ता करने का आश्वासन दिया।वहीं इस पूरे प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश की प्रतिभाएं देश का नाम रोशन करने के बावजूद सम्मान पाने को तरस रही हैं।उन्होंने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि तत्काल इन खिलाड़ियों को सरकार द्वारा सम्मान दिया जाए और इनकी आर्थिक मदद भी की जाए।
बालिकाओं ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।प्रदेश की राजधानी देहरादून के शिमला बाईपास से सटे झीवरहेडी इलाके में गरीब परिवार की दो सगी बहनों मनीषा पाल और रश्मि पाल ने अंडर-17 वर्ग में क्रमश: 1500 मीटर और 800 मीटर स्पर्धाओं में स्वर्ण और रजत पदक जीता। इसी वर्ग में उत्तरकाशी जनपद की बालिका रेखा चौहान ने सौ मीटर की स्पर्धा में रजत पदक जीता। वही बालकों की अंडर-14 स्पर्धा में रोहित चंद्र कुनियाल ने न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि बेस्ट एथलीट भी चुने गए।इन सभी खिलाड़ियों के कोच प्रवीण सुहाग ने बताया कि इन प्रतिभाशाली गरीब बच्चों ने देश और प्रदेश का सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है, लेकिन नेपाल से लौटने के बाद से अभी तक उत्तराखंड सरकार ने इन प्रतिभाओं की कोई सुध नहीं ली। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश सरकार से प्रतिभाओं का उत्साह बढ़ाने एवं सभी खेल प्रतिभाओं को तत्काल सम्मानित करने एवं आर्थिक मदद देने हेतु वार्ता करने का आश्वासन दिया।वहीं इस पूरे प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश की प्रतिभाएं देश का नाम रोशन करने के बावजूद सम्मान पाने को तरस रही हैं।उन्होंने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि तत्काल इन खिलाड़ियों को सरकार द्वारा सम्मान दिया जाए और इनकी आर्थिक मदद भी की जाए।
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