शब्दों का उच्चारण स्पष्ट हो
देहरादून - दून विश्वविद्यालय के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग में एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार के मुख्य अतिथि डा. बी. बी भट्ट, निदेशक, ए.आई.आर (ऑल इंडिया रेडियो) ने छात्रों को रेडियो प्रसारण से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेडियो कार्यक्रम बनाने के लिए भाषा पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। शब्दों का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए, साथ ही सही शब्दों का चयन, दर्शकों की जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता और संदेश के मुताबिक शब्दों का इस्तेमाल बेहद जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि ए.आई.आर के रेडियो प्रसारणों का उद्देश्य आसान भाषा में सभी श्रोताओं तक संदेश पहुंचाना है।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि मीडिया की दुनिया में तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं। पत्रकारिता का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और उसके गौरवशाली इतिहास को सामने लाना भी होना चाहिए। उन्होंने विभिन्न पौराणिक कहानियों के पात्रों के जरिए समकालीन पत्रकारिता के दौर को समझाने की कोशिश की। मीडिया एंड कम्युनिकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव
ऐतिहासिक तौर पर संचार के माध्यम से ही संभव हो पाया है। दुनियाभर में भारतीय दर्शन और बौद्ध धर्म का प्रसार संचार के माध्यम से ही मुमकिन हुआ। हिंसा से वर्चस्व का विस्तार कभी भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि विभाग में लेक्चर, वर्कशॉप और विभिन्न सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विशषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि उनके अनुभवों का लाभ छात्रों को मिल सके। दून विश्वविद्लायलय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र शेखर नौटियाल ने कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन डा. करूणा शर्मा ने किया। डा. राशि मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। नितिन कुमार, राशि मिश्रा, जूही प्रसाद, प्रेयसी हिमानी, आबसार अब्बासी, सचिन पंवार, आशीष काला, अवंतिका बलोदी, वान्या रजवार, नक्षत्र चड्ढा, सोनिया कठैत, उदित नौटियाल, नवीन जोशी, श्रुति कौल, आदित्य कुमार, कोमलप्रीत कौर, मुकेश देवराड़ी सहित स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन के सभी छात्र एवं शिक्षक मौजूद रहे।
ऐतिहासिक तौर पर संचार के माध्यम से ही संभव हो पाया है। दुनियाभर में भारतीय दर्शन और बौद्ध धर्म का प्रसार संचार के माध्यम से ही मुमकिन हुआ। हिंसा से वर्चस्व का विस्तार कभी भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि विभाग में लेक्चर, वर्कशॉप और विभिन्न सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विशषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि उनके अनुभवों का लाभ छात्रों को मिल सके। दून विश्वविद्लायलय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र शेखर नौटियाल ने कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन डा. करूणा शर्मा ने किया। डा. राशि मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। नितिन कुमार, राशि मिश्रा, जूही प्रसाद, प्रेयसी हिमानी, आबसार अब्बासी, सचिन पंवार, आशीष काला, अवंतिका बलोदी, वान्या रजवार, नक्षत्र चड्ढा, सोनिया कठैत, उदित नौटियाल, नवीन जोशी, श्रुति कौल, आदित्य कुमार, कोमलप्रीत कौर, मुकेश देवराड़ी सहित स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन के सभी छात्र एवं शिक्षक मौजूद रहे।
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