हाथियों के लिये बनेगा गलियारा - प्रमुख वन संरक्षक जयराज
ऋषिकेश- उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख, वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी जयराज ने प्रमुख वन संरक्षक का पदभार ग्रहण करने के पश्चात परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जयराज के मध्य पर्यावरण संरक्षण एवं क्लाइमेंट चेंज के विषयों पर चर्चा हुई। चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नदियों के किनारों को विशेष रूप से रिस्पना के तटों को सुरम्य और आकर्षक बनाने के लिये स्कूल, सेना, संस्थायें, सरकार एवं अन्य सामाजिक संगठनों को मिलाकर इस ओर कार्य किया जा सकता है इस पर विशेष चर्चा हुई। साथ ही हरिद्वार में 25 हजार फलदार, फूलदार, जड़दार एवं छायादार पौधों के रोपण की कार्ययोजना बनायी गयी।
चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जंगल में हाथियों के लिये जो परम्परागत काॅरिडोर थे वे धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहें है अब जंगलों में हाथियों के लिये गलियारा (काॅरिडोर) बनाने की जरूरत है साथ ही हाथियों के लिये उनकी रूचि के पौधे यथा पीपल, वट, केला, आवंला, नीम एवं अन्य पत्तीदार पौधों का रोपण करना होगा क्योंकि इसके अभाव में ही हाथी, जंगलों से बाहर रिहायिशी इलााकों में आकर नुकसान पहुंचा रहे है। उन्होने कहा कि हाथियों के लिये गलियारा बनाने से केवल हाथियों से बचा ही नहीं जा सकता है बल्कि उन्हें भी बचाया जा सकता है जो अत्यंत आवश्यक है। साथ ही रामझूला से लक्ष्मण झूला क्षेत्र तक जहां हेरिटेज पथ बनाया जा रहा है वहां तक और गंगा के किनारे किनारे जड़दार, छायादार, फलदार, फूलदार पौधों का रोपण कर वहां के वातावरण को सुरम्य, सौन्दर्ययुक्त एवं मनमोहक बनाने पर चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को जीवंत और उसकी आध्यात्मिक विरासत के साथ भौगोलिक सुन्दरता को सुरक्षित रखने के लिये जंगलों की सुरक्षा करना नितांत आवश्यक है। उन्होने कहा कि वर्तमान समय जंगल, जमीन और जानवरों के प्रति जागरूक होने का है।इन उक्त योजनाओं के लिये वन विभाग एवं गंगा एक्शन परिवार, परमार्थ निकेतन, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलांयस (जीवा), आर बी, संकल्प तरू फाउण्डेशन मिलकर कार्य करेंगे ऐसी जानकारी दी गयी।स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ जयराज एवं अन्य अधिकारियों ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जयराज एवं अन्य अधिकारियों को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। जयराज ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ हुई वार्ता को अत्यंत उपयुक्त एवं प्रेरणादायक बताते हुये हाथी काॅरिडोर के सुझाव से अत्यंत प्रभावित होकर इस पर जल्दी ही कार्य योजना बनाने की बात कही।
चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जंगल में हाथियों के लिये जो परम्परागत काॅरिडोर थे वे धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहें है अब जंगलों में हाथियों के लिये गलियारा (काॅरिडोर) बनाने की जरूरत है साथ ही हाथियों के लिये उनकी रूचि के पौधे यथा पीपल, वट, केला, आवंला, नीम एवं अन्य पत्तीदार पौधों का रोपण करना होगा क्योंकि इसके अभाव में ही हाथी, जंगलों से बाहर रिहायिशी इलााकों में आकर नुकसान पहुंचा रहे है। उन्होने कहा कि हाथियों के लिये गलियारा बनाने से केवल हाथियों से बचा ही नहीं जा सकता है बल्कि उन्हें भी बचाया जा सकता है जो अत्यंत आवश्यक है। साथ ही रामझूला से लक्ष्मण झूला क्षेत्र तक जहां हेरिटेज पथ बनाया जा रहा है वहां तक और गंगा के किनारे किनारे जड़दार, छायादार, फलदार, फूलदार पौधों का रोपण कर वहां के वातावरण को सुरम्य, सौन्दर्ययुक्त एवं मनमोहक बनाने पर चर्चा की।
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