झारखण्ड का जामतारा जिला साइबर अपराधियों का अड्डा

देहरादून--दो दिवसीय युसर्क विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मलेन के अंतिम दिन जानकारों ने कहा की विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले उत्तराखंड राज्य में टेक्नोलॉजी का व्यापक इस्तेमाल, स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लेन में सक्षम है.  प्रदेश के ९५ ब्लॉक से सरकारी विद्यालयों में पड़ा रहे तक़रीबन २०० शिक्षक शामिल हुए, जिनको साइबर शिक्षा और सिक्योरिटी से जुड़े जानकारों ने सम्बोधित किया. प्रथम सत्र का उट्घाटन करते हुए, युसर्क के निदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने कहा की डिजिटल टेक्नोलॉजी उत्तरखंड के लिए सबसे बड़ा सम्बल है. पर इसका इस्तेमाल में कुछ सावधानी भी आवशयक है. प्रो पंत ने कहा की युसर्क मास्टर ट्रेनर तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है. मास्टर ट्रेनर्स शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के आलावा नई पीढ़ी को साइबर सुरक्षा से जुडी जानकारी को भी साझा करेंगे. इससे दोहरा लाभ मिलेगा. पहला विद्यार्थी पड़ने में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का इस्तेमाल करने की दिशा में बढ़ेंगे. दूसरा विद्यार्थी साइबर अपराध से लड़ने के लिए तैयार हो सकेंगे.ग्रुप कप्तान ऐ.के. कटारिया ने साइबर अपराध की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा की डिजिटल टेक्नॉलजी का इस्तेमाल जहाँ शिक्षा समेत कई क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण टूल है. वही साइबर सुरक्षा का ज्ञान भी उतना ही आवशयक है. उन्होने बताया झारखण्ड का जामतारा जिला साइबर अपराधियों का अड्डा बन गया है.   ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय के
 कुलपति प्रो संजय जसोला ने कहा की अपने को आईटी और प्रौद्योगिकी के साथ ढालना शिक्षकों के लिए जरूरी है. फोटोग्राफी रील बनाने वाली कोडक कंपनी का उदहारण देते हुए प्रो जसोला ने कहा की समय के साथ कोडक कदम-ताल नहीं मिला सका, लिहाज़ा डिजिटल टेक्नोलॉजी के आने के साथ ही कंपनी बंद हो गयी. वहीँ आईबीएम जैसी कम्पनी समय रहते इन्फोर्मशन टेक्नोलॉजी की आहट को पकड़ पाई और आज सबसे बड़े ब्रांड्स में शामिल है. अमृता वर्चुअल इंटरैक्टिव ई लर्निंग मल्टीमीडिया प्लेटफार्म के प्रोग्राम डायरेक्टर कमल बिजलानी ने बारे में शिक्षकों को बताया. अमृता विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किये गए इस "फ्री टू यूज़" टूल को कई शैक्षणिक संस्थाएं इस्तेमाल कर रही हैं. बिजलानी ने बताया की मल्टीमीडिया टूल्स की मदद से शिक्षक और विद्यार्थी, परम्परगत 'क्लास रूम' में  लगने वाले कई घंटे बचा सकते हैं. टेक्नोलॉजी किस तरह से दूर दराज़ के क्षेत्रों के स्कूल एवं कॉलेज की मदद कर सकती है. इसके बारे में भी सम्मलेन में बताया गया. सेल्फी और जीपीएस की मदद से दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों की हाज़िरी दर्ज करने के बारे में भी बताया गया. राजकीय विद्यालय पदमपुरी (नैनीताल) से आये प्रदीप शर्मा समेत कई दूसरे शिक्षकों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के सत्र को नया अनुभव बताया.इस दो दिवसीय सम्मलेन के प्रथम दिन शुक्रवार को राज्य के जल स्रोतों पर चर्चा की गयी. युसर्क के प्रो पंत ने कहा की सम्मलेन की खास बात ये भी रही की प्लास्टिक के ग्लास और बोतलों का कही भी इस्तेमाल नहीं किया गया. इनकी जगह पर मिटटी से बने ग्लास और मग पानी के लिए इस्तेमाल किये गए।

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