महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध -मुख्यमंत्री

देहरादून -मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने  मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हाॅल में फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) के उत्तराखण्ड चैप्टर का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिये तीन योजनाएं संचालित की जा रही है। रेडिमेड वस्त्रों के 670 सेंटर स्थापित किये जायेंगे। प्रारम्भिक तौर पर 15 सेंटर स्थापित किये जा रहे है। इन केन्द्रों में कपडो को काटकर कर सिलाई हेतु इन सेंटरों को दिया जाएगा तथा सिलाई के बाद उन्हें वापस लेकर उनकी मार्किटिंग की जाएगी। यह कपड़े बाजार की अपेक्षा सस्ते व टिकाऊ होंगे। इससे महिलाओं को स्वरोजगार मिलेगा और वे आर्थिक रूप से मजबूत हाेगी।
इसी प्रकार महिलाओं के लिये एल.ई.डी. बल्ब व अन्य उपकरण तैयार किया जाएगा जिनका वितरण महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जाएगा।मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र एरोमैटिक खेती, परम्परागत खेती, शहद पालन जैसे कार्य महिला समूह गठित कर किये जा रहे है। आज प्रदेश के छोटे से जिले में 1000 महिला समूह कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि महिला समूहों को भी 02 प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध हो।मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से पिथौरागढ में जहां 08 माह पूर्व लिंगानुपात 1000 में 813 था, अब वह 914 हो गया है। इससे आने वाले 05 सालो में इसके और बेहतर तसवीर सामने आयेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की सफलता से जुडा है। उन्होंने कहा कि फिक्की महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में पहल करें। आज राज्य की महिलाये सेना सहित अन्य साहसिक अभियानो का हिस्सा बन रही है। राज्य में भुखमरी जैसी समस्याएं नही है। राज्य की औसत प्रति व्यक्ति आय 1.54 लाख है। यदि यहां की महिलाओं को प्रोत्साहन मिले तो आपसी जन सहयोग से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सफल हो सकती है।फिक्की से मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की कि हमारे पहाड़ की महिलाओं में भी एंटरप्रेन्योरशिप विकसित करने के लिए व्यापक प्रयास किए जाएं। इसलिए अगर किसी उद्यम या स्वरोजगार से महिलाओं को जोड़ा जाता है तो वहां सफलता की गारंटी और भी बढ़ जाती है। हमारा राज्य ऑर्गैनिक खेती का हब बन सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र में महिलाएं छोटे स्तर पर इस कार्य को करती आ रही हैं। उत्तराखंड में कई महिला स्वयंसहायता समूह इस दिशा में काम भी कर रहे हैं...चाहे मशरूम उत्पादन की बात हो या जैविक उत्पादों से बने प्रसाद की बात हो। लेकिन उन्हें स्किल का सहारा देने की जरूरत है ताकि ऑर्गैनिक खेती में वे प्रमुखता से हिस्सेदार बन सकें। इसी तरह प्राकृतिक रेशों के उत्पादन और उनसे प्रोडक्ट तैयार करने में भी छोटे स्तर पर अभी काम हो रहा है, लेकिन मैं चाहता हूं कि एफ.एल.ओ. के सहयोग से इसे व्यापक स्तर पर लाया जाए।
महिलाओं को अच्छी ट्रेनिंग दी जाए और उनमें कौशल निखारा जाए। प्राकृतिक रेशों के उत्पादों को फैशन से जोड़ दिया जाए तो इसकी बहुत अच्छी मार्केटिंग हो सकती है। और यह महिलाओं का नैसर्गिक गुण होता है कि उन्हें संसाधनों को ट्रेंड से जोड़ना अच्छी तरह आता है। इसी तरह फूड प्रोसेसिंग, खिलौनों का निर्माण, धूप, अगरबत्ती, मोमबत्ती निर्माण आदि क्षेत्रों में भी बहुत सी संभावनाएं उत्तराखंड में हैं जहां महिलाओं का कौशल विकास करके उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सकता है। आज हमारे राज्य की महिलाएं और बेटियां देशभर में अपना परचम लहरा रही हैं, लेकिन एटरप्रेन्योरशिप के नजरिए से देखों तो तुलनात्मक रूप से वे पीछे नजर आती हैं। इसलिए उनमें स्वावलंबन का भाव जगाना और एक उद्यमी के तौर पर उन्हें स्थापित करने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है।महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) ने महिला सशक्तिकरण के लिए फिक्की लेडीज आॅर्गनाईजेशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।इस अवसर पर अभिनेत्री एवं यूनाईटेड नेशन की एनवायरनमेंट ब्राण्ड एम्बेसेडर  दिया मिर्जा, फिक्की लेडीज आॅर्गनाईजेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष  वाश्वी भरत राम, एफ.एल.ओ. उत्तराखण्ड चैप्टर की अध्यक्षा  शिल्पी आरोड़ा आदि ने भी अपने विचार रखे।

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