भारत अपने लिये ही नही बल्कि पूरे विश्व के लिये सांस लेता है
नई दिल्ली-परमार्थ निकेतन परमाध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की दिल्ली में भेंटवार्ता हुई।ऊर्जा एवं शक्ति से सम्पन्न, करूणा और ममता की प्रतीक सुषमा स्वराज को स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव एवं आठ मार्च को ’विश्व महिला दिवस’ के अवसर पर आयोजित ’मातृ शक्ति सम्मान एवं महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम’ में सहभाग हेतु परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आंमत्रित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं सुषमा स्वराज ने देश एवं दुनिया के विभिन्न तत्कालिक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति, राजनीतिक संस्कृति, नैतिक अवधारणा, ऐतिहासिक विरासत के साथ वर्तमान विकास का लोहा अब दुनिया के लगभग सभी देश स्वीकार कर रहे है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीयों को एक ममतामयी एवं करूणामयी विदेश मंत्री का संरक्षण प्राप्त हुआ है। उनके कार्यकाल में विश्व के किसी भी देश में भारतीयों के साथ कोई अप्रिय घटना या कोई हादसा हुआ हो तो उन्होने अपना हाथ तुरन्त आगे बढ़ाया है। उनके मातृ हृदय एवं करूणा के सागर से पूर्ण स्वभाव से ही अनेक भारतीय सुरक्षित अपने वतन लौट पाये है इसके अनेक उदाहरण मिलते है। स्वराज जब भी सहयोग करती है तो उन सभी का करती है जिन्हे समस्या है। उनके इस कार्य में किसी धर्म, मजहब, जाति या सम्प्रदाय की कोई भी दिवार आड़े नहीं आती है बल्कि उनके कार्यो से हर तरह की छोटी-बड़ी दरारें भर जाती है क्योंकि वह जो भी करती है दिल से करती है। उनका हर कार्य इस तरह का होता है कि वह अपने लिये, स्वामी महाराज ने सुषमा स्वराज को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं एवं उपलब्धियों के लिये बांसुरी बजाते हुये गणेश जी की प्रतिमा एवं शिवत्व का प्रतिक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने इंडिया डेवलपमेट फाउंडेशन की मीटिंग के अवसर पर विश्व से आये हुये आई डी एफ के सदस्यों, भारत सरकार के प्रतिनिधियाें एवं अधिकारियों को भी देश को निरन्तर प्रगतिशील करने के लिये धन्यवाद दिया तथा शुभकामनायें दी कि आगे भी हमारा राष्ट्र उत्कृष्ट प्रदर्शन करता रहे, जिसमें ’सबका साथ, सबका विकास’ ’सर्वे भवन्तु सुखिनः’ एवं वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र के साथ आगे प्रगति करता रहे।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’भारत केवल अपने लिये सांस नहीं लेता बल्कि पूरे विश्व के लिये सांस लेता है; पूरे विश्व के लिये जागता है और जीता है।’ सुषमा स्वराज ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य आरती की स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि ’आरती के सहभाग के क्षणों मैने आज भी अपनी स्मृतियों में संजाें कर रखा है। परमार्थ की आरती दिव्यता के साथ विश्व बन्धुत्व का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं सुषमा स्वराज ने देश एवं दुनिया के विभिन्न तत्कालिक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति, राजनीतिक संस्कृति, नैतिक अवधारणा, ऐतिहासिक विरासत के साथ वर्तमान विकास का लोहा अब दुनिया के लगभग सभी देश स्वीकार कर रहे है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीयों को एक ममतामयी एवं करूणामयी विदेश मंत्री का संरक्षण प्राप्त हुआ है। उनके कार्यकाल में विश्व के किसी भी देश में भारतीयों के साथ कोई अप्रिय घटना या कोई हादसा हुआ हो तो उन्होने अपना हाथ तुरन्त आगे बढ़ाया है। उनके मातृ हृदय एवं करूणा के सागर से पूर्ण स्वभाव से ही अनेक भारतीय सुरक्षित अपने वतन लौट पाये है इसके अनेक उदाहरण मिलते है। स्वराज जब भी सहयोग करती है तो उन सभी का करती है जिन्हे समस्या है। उनके इस कार्य में किसी धर्म, मजहब, जाति या सम्प्रदाय की कोई भी दिवार आड़े नहीं आती है बल्कि उनके कार्यो से हर तरह की छोटी-बड़ी दरारें भर जाती है क्योंकि वह जो भी करती है दिल से करती है। उनका हर कार्य इस तरह का होता है कि वह अपने लिये, स्वामी महाराज ने सुषमा स्वराज को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं एवं उपलब्धियों के लिये बांसुरी बजाते हुये गणेश जी की प्रतिमा एवं शिवत्व का प्रतिक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने इंडिया डेवलपमेट फाउंडेशन की मीटिंग के अवसर पर विश्व से आये हुये आई डी एफ के सदस्यों, भारत सरकार के प्रतिनिधियाें एवं अधिकारियों को भी देश को निरन्तर प्रगतिशील करने के लिये धन्यवाद दिया तथा शुभकामनायें दी कि आगे भी हमारा राष्ट्र उत्कृष्ट प्रदर्शन करता रहे, जिसमें ’सबका साथ, सबका विकास’ ’सर्वे भवन्तु सुखिनः’ एवं वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र के साथ आगे प्रगति करता रहे।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’भारत केवल अपने लिये सांस नहीं लेता बल्कि पूरे विश्व के लिये सांस लेता है; पूरे विश्व के लिये जागता है और जीता है।’ सुषमा स्वराज ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य आरती की स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि ’आरती के सहभाग के क्षणों मैने आज भी अपनी स्मृतियों में संजाें कर रखा है। परमार्थ की आरती दिव्यता के साथ विश्व बन्धुत्व का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।’
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