उत्तराखंड के पलायन को लेकर टेलीविजन पर सीरियल बनाएंगे - सुरेंद्र चौहान
देहरादून--उत्तराखंड जहाँ अपने अलौकिक सौंदर्य के लिए विश्व बिख्यात है, वही यहाँ से हो रहे पलायन और बेरोजगारी ने इसकी सुन्दरता पर ग्रहण सा लगा दिया है। जरुरत है यहाँ के युवाओं को एक ऐसी सोच, एक ऐसी दिशा, देने की जिससे वह स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो सके। पर उन्हें यह नया नजरिया देने के लिए पहले उनके मन में पलायन से खाली होती इस भूमि के प्रति भावात्मक कहानी है और अच्छी पटकथा जिसमे उन लोगो की जिंदगी के पहलुओं को बखूबी उकेरा जायेगा जो विकट परिस्थितयों में भी यहाँ एक सफल रोजगार कर रहे है। तथा उन युवाओं की जज्बे और ललक को देखाया जायेगा। जो प्रदेशों से लौटकर वापस आये और खुद तो रोजगार पाया बल्कि अन्य लोगो को भी रोजगार दिया। इन सब जरिये उन्हें यह सोचने पर मजबूत करके उन्हें यही रोजगार के प्रेरित करना है।
इस टी वी सीरियल में हास्य भावुकता और प्रेम के माध्यम से केवल लोगो का मनोरंजन करने के साथ उनकी सोच में परिवर्तन लाना भी है।जहाँ बांझी पुंगड़ी केदारनाथ आपदा के बाद एक ऐसे आदमी का हृदय परिवर्तन कर देती है जो कई दशक से चेन्नई जैसे शहर में अपनी पूरे परिवार के साथ बस चूका था। उसके बंजर पड़े खेत की अंतरात्मा की आवाज ने उसे बदल कर रख दिया ।इसी प्रकार पलायन पर हस्य के जरिये लोगो को सन्देश दिया गया है। कि किस प्रकार यमलोक के स्वामी यम भी पहाड़ के पलायन से चिंतित है और वह खुद चित्रगुप्त के साथ लोगो की मदद के लिए धरती पर आते है पर लोग यमराज धन लेकर मैदानी क्षेत्र में जाकर बस जाते है।तथा किस प्रकार शराब के कारण एक पूरा हँसता खेलता गाँव पुरुषों से वंचित हो जाता है। एक ऐसे हादसे में वहां के सारे पुरुष काल के शिकार हो जाते है और पूरे गाँव में केवल महिलायें और बच्चे रहे जाते हैं। इस प्रकार नाटक के जरिये समाज में एक अच्छा सन्देश दिया जाएगा, निर्माता है सुरेन्द्र चौहान और इसके निदेशक है वेद प्रकाश शर्मा (मेशवाल) तथा इसकी पटकथा को लेख रहे है नरेन्द्र कठैत और प्रदीप रावत "खुदेड़" इस इस सीरिज को हिंदी भाषा में बनाया जायेगा।
इस टी वी सीरियल में हास्य भावुकता और प्रेम के माध्यम से केवल लोगो का मनोरंजन करने के साथ उनकी सोच में परिवर्तन लाना भी है।जहाँ बांझी पुंगड़ी केदारनाथ आपदा के बाद एक ऐसे आदमी का हृदय परिवर्तन कर देती है जो कई दशक से चेन्नई जैसे शहर में अपनी पूरे परिवार के साथ बस चूका था। उसके बंजर पड़े खेत की अंतरात्मा की आवाज ने उसे बदल कर रख दिया ।इसी प्रकार पलायन पर हस्य के जरिये लोगो को सन्देश दिया गया है। कि किस प्रकार यमलोक के स्वामी यम भी पहाड़ के पलायन से चिंतित है और वह खुद चित्रगुप्त के साथ लोगो की मदद के लिए धरती पर आते है पर लोग यमराज धन लेकर मैदानी क्षेत्र में जाकर बस जाते है।तथा किस प्रकार शराब के कारण एक पूरा हँसता खेलता गाँव पुरुषों से वंचित हो जाता है। एक ऐसे हादसे में वहां के सारे पुरुष काल के शिकार हो जाते है और पूरे गाँव में केवल महिलायें और बच्चे रहे जाते हैं। इस प्रकार नाटक के जरिये समाज में एक अच्छा सन्देश दिया जाएगा, निर्माता है सुरेन्द्र चौहान और इसके निदेशक है वेद प्रकाश शर्मा (मेशवाल) तथा इसकी पटकथा को लेख रहे है नरेन्द्र कठैत और प्रदीप रावत "खुदेड़" इस इस सीरिज को हिंदी भाषा में बनाया जायेगा।
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