जन हस्तक्षेप के बैनर तले विपक्षी दलों, जन संगठनों ने कनस्तर बजा कर विरोध दर्ज किया

देहरादून-नोटबंदी के एक साल और राज्य स्थापना के १७ साल पूरे होने पर भीड़ की हिंसा और नफरत की राजनीति के खिलाफ जन हस्तक्षेप के बैनर तले राज्य के सारे विपक्षी दलों, जन संगठनों ने परेड ग्राउंड पर कनस्तर बजा कर विरोध दर्ज किया।वक्ताओं ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य में भाजपा की सरकार आने से जहां सारे विकास कार्य ठप हो गए है वहीं एक नई तरह की भीड़  किसी भी कस्बे, शहर या गांव में जब तब अचानक दंगा करने पर उतारू हो जाती है। भाजपा का झंडा लहराते हुए ये लोग कानून व्यवस्था को धत्ता बताते हुए शांतिप्रिय जनता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं।वक्ताओं ने कहा है की इस राज्य में पहली बार पिछले कुछ महीनों में सतपुली, मंसूरी, आराघर, कीर्तिनगर, हरिद्वार, रायवाला, कोटद्वार, चम्बा में दंगा फैलाने की कोशिश की गयी। समुदाय विशेष के लोगों पर आरोप लगा कर भीड़ द्वारा उनकी पिटाई करना, उनकी दूकानों को तोड़ना और जलाना, इस तरह की घटनाओं को लगातार अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन जनता ने बड़ी समझदारी से स्वयं के हस्तक्षेप से शांति कायम करने में सफलता पाई है। वरना जान माल का भारी नुकसान हो सकता था। सरकारी तंत्र इन अराजक तत्वों के सामने मुकदर्शक बना हुआ है।
वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की है जब एक तरफ धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर यह सब घट रहा है, दूसरी तरफ केंद्र और राज्य सरकारें गरीब लोगों के हकों को छीन रही हैं। मज़दूरों के हितों में बने कानूनों को या तो कमजोर किए जा रहे हैं या उन पर अमल ही नहीं हो रहे हैं।  नोटबंदी से देश के आम लोगों के चूल्हे बंध करा कर बड़े कर्जदार कंपनियों को बहुत फायदा पहुंचा दिया गया है।  पर्यावरण और वन अधिकार कानूनों को ताक पर रख कर आपराधिक रूप से पंचेश्वर बांध का काम शुरू करने जा रहे हैं। वक्ताओं ने अपने वक्तव्य में कहा हैं की अभी 11 अक्टूबर 2017 को सीपीआई (एम् ) के जिला कार्यालय और कार्यकर्तों पर हरबंस कपूर,  मुन्ना सिंह चौहान,  विनोद चमोली और महामंत्री उमेश अग्रवाल की मौजूदगी में हमले किये गए। अभी तक उन की कोई गिरफ्तारी नहीं हुए है। अपराधी राज्य में अपनी सरकार होने के गुरुर में कानून व्यवस्ता को ठेंगा बता रहे हैं।धरने में आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ताओं तथा नेताओं द्वारा उपर्युक्त घटनाओं में संलिप्तता की न्यायक जांच की जाय, भीड़ की हिंसा और नफरत की राजनीति फैलाने वाले अराजक तत्वों की पहचान कर उन पर अपराधिक मुकदमे दर्ज किया जाय।  सांप्रदायिक घटनाओं में पीड़ित व्यक्तियों अथवा समुदायों को उनके नुक्सान का मुआवजा दिया जाय। गरीब लोगों  के क़ानूनी हक़ जैसे राशन, मज़दूरों के लिए कल्याणकारी योजना, वन अधिकार कानून इत्यादि शक्ति से लागू किया जाये और अगर नहीं होगा तो ज़िम्मेदार अधिकारी पर करवाई की जय। सर्व सहमति से पास किये गए। कनस्तर बजाओ कार्यक्रम में कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर  उपाध्याय, चेतना आंदोलन से त्रेपन सिंह चौहान, उत्तराखंड महिला मंच से कमला पंत, निर्मला बिष्ट, समाजवादी पार्टी से महितोष मैठाणी और अलोक राय, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवाड़ी, सीपीआई से अशोक शर्मा, उत्तराखंड संवैधानिक संरक्षण मंच से दौलत कुंवर, कांग्रेस राज्य महामंत्री याकूब सिद्दीकी, सारिका प्रधान, सर्व समाज के महासचिव कृपाल सिंह, आम आदमी पार्टी से दिनेश पेटवाल ने कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में चेतना आंदोलन से जाबिर, पप्पू, नरेश कुमार, अशोक कुमार, सुनीता, विजय पाल, लक्ष्मीचंद, सुनेर सिंह सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीपीआई(म) के वरिष्ठ नेता बचीराम कंसवाल और सञ्चालन चेतना आंदोलन के शंकर गोपालकृष्णन ने किया। 

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