पंचेश्वर बांध विकास का मंदिर नहीं, विनाश का श्मशान है-- शंकर खड़ायत

देहरादून-  शंकर खड़ायत संयोजक महाकाली की आवाज ने अपनी पत्रकार वार्ता में कुछ सवाल उठाए हैं और उन्होंने कहा है कि पंचेश्वर बांध विकास का मंदिर नहीं, विनाश का श्मशान है, हमारी घाटी में बहने से आने वाली नदी की सर सर की आवाज जो की रात्रि में नए आए व्यक्ति को सोने नहीं देती है इसके उल्टा हमारे लिए सदियों से मां की लोरी का काम कर रही है और जिनके बिना हमें नींद नहीं आती है उस लोरी वह आवाज को हमसे छीनने का क्या मुआवजा देगी सरकार वीडियो से किसी का कार्य कर रहे अपनी प्रिय जगह को छोड़ने को मजबूर कर रही  सरकार को यह हक तो जनता को देना ही होगा कि वो अब भारत के सबसे बड़े महानगर या शहर में अपना नया आशियाना बना सके इसलिए प्रत्येक परिवार को 40 नाली प्रति परिवार के बाद उसकी भूमि जोड़कर देश के सबसे ऊंचे सर्किल रेट का 10 गुना मुआवजा संपूर्ण डूब क्षेत्र की भूमि का एक सामान दे परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार के अलावा विस्थापित होने पर सबसे ज्यादा संवेदनशील बच्चों को 18 साल की उम्र होने तक 20 हजार रूपये एवं  छात्रवृत्ति 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को 25 हजार रूपये पर प्रतिमाह पेंशन देना सुनिश्चित करें सरकार। भारत चीन की सीमा पर रह रहे एक लाख से ज्यादा अवैतनिक सैनिक जो कि देश की रक्षा में रात दिन प्रहरी का काम कर रहे हैं उन्हें विस्थापित करें एवं संपूर्ण भूमि को डूबा कर इतना बड़ा बांध बनाना सीमांत में दुश्मन के लिए हथियार का काम करेगा वहीं उन्होंने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहा है कि यह जो बांध बन रहा है यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के ऊपर बन रहा है क्योंकि अभी तक भारत और नेपाल का सीमा  विवाद भी चल रहा है नेपाल अपने सीमा नदी से उस तरफ सीमांत क्षेत्र को बताती है जबकि हिंदुस्तान नदी के इस तरफ को अपना क्षेत्र बताता है  जिसका फायदा आने वाले समय में चीन भी उठा सकता है।

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