जूनियर को किया सीनियर पद पर अटैच,कई अफसर नाराज
चंद्र प्रकाश बुडाकोटी प्रकाश की कलम से----
देहरादून-राज्य में किस तरह से नियम कानूनों जा मख़ौल उड़ाया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है।एक तरफ अटैचमेंट की ब्यवस्था को ख़त्म किया गया है दूसरी तरफ अटैचमेंट आदेश जारी किये जा रहे है।इसी प्रकार का अभी एक मामला ग्राम्य विकास विभाग में सामने आया है जिस पर अधिकारियो को जबाब देते नहीं बन रहा है।प्रसार प्रशिक्षण केंद्र शंकरपुर देहरादून में कार्यरत वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारी कल्पना नंदा को जिला विकास अधिकारी कार्यालय में अटैचमेंट किया गया है।जिस पर अनेक सवाल खड़े हो रहे है यह पद राजपत्रित अधिकारी का है जिस पर अटैचमेंट नहीं किया जा सकता है। फिर क्यों और किस मंशा से किया गया अटैचमेंट? कही जूनियर अफसर को सीनियर बनाने का खेल तो नहीं? एक ही जगह दो वरिष्ठ प्रसासनिक अफसर कैसे ? गौरतलब है की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारी पहले से ही कार्यरत है अब एक दूसरे अफसर को अटैच किया गया है।
6 जुलाई 17 तुलसी राम आयुक्त ग्राम्य विकास द्वारा दिए गए अटैचमेंट आदेश पर इस प्रकार की भाषा शैली का प्रयोग किया गया है की आम आदमी तो क्या खास भी उलझ कर रह जाय। लिखा गया है की कल्पना नंदा को मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष सबद्ध किया जाता है एवम इनके वेतन भत्ते जिला विकास अधिकारी द्वारा मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष अहतरित किये जायेंगे। अब गौर करने वाली बात यह है की जब मुख्य प्रसाशनिक अधिकारी के पद के सापेक्ष इनकी नई तैनाती दी गई है फिर वेतन भत्ते जिला विकास अधिकारी द्वारा क्यों अहतरित किये जायेंगे? जिला विकास अधिकारी द्वारा एक ही कार्यालय से दो वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारियो के वेतन भत्ते कैसे अहतरित कर सकते है यह भी बड़ा सवाल है ? इस सब को देखते हुए इन आदेशो में भी बडा झोल सामने आ रहा है।विभाग के ही कई अफसर इस तरह की प्रक्रिया को नियमो के खिलाफ के साथ नेतागीरी की आड़ में उच्च पदों को कब्जा ने की साजिश करार दे रहे है।तो कई कर्मी इसमे राजनितिक संरक्षण की बात कर रहे है।आयुक्त ग्राम्य विकास के आदेश में कल्पना नंदा की नई तैनाती मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष में की गई है।जबकि इस पद पर अभी डीपीसी होनी है और विभागीय सीनियर अफसर की ही तैनाती की जाती है।कल्पना नंदा से कई सीनियर अफसर यहाँ पर है फिर जूनियर को इस पद पर क्यों बिना डीपीसी के अटैचमेंट किया गया यह बड़ा सवाल है।इस पद पर जिला विकास अधिकारी कार्यालय में कार्यरत अफसर को भी चार्ज दिया जा सकता था।लेकिन ऐसा नहीं किया गया।विभाग के कई अफसर इससे खासे नाराज है जो अभी खुलकर कुछ नहीं कह रहे है।लेकिन देर सबेर अपना विरोध दर्ज करवाने में पीछे नहीं हटेंगे।एक सरकारी मुलाजिम ने नाम न छापने की शर्त पर कहते है की इस प्रकार के आदेश निर्देशो के कारण सरकार की जीरो टालरेंस की मुहिम पर भी बट्टा लग रहा है।कर्मचारियों का मनोबल भी इससे टूट रहा है।भले ही सरकार नियमो के तहत सिस्टम को संचालित करवाना चाह रही हो लेकिन जब तक अफसर शाही पर अंकुश एवम् नियमो का पाठ नहीं पढ़ाया जाता इसी तरह के नियमो की धज्जियाँ उड़ती रहेंगी और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते रहेंगे।ये भी सवाल--*एक ही ऑफिस में दो बरिष्ठ प्रसासनिक अफसर कैसे**जिला विकास अधिकारी एक पद की दो सैलरी को कैसे देंगे मंजूरी*अटैचमेंट ब्यबस्था जब ख़त्म की गई है फिर क्यों किया सबद्ध *नियमो की जानकारी के बाद भी क्यों दिए ऐसे आदेश**अन्य अफसरों की नाराजगी कैसे होगी दूर*जब तैनाती मुख्य प्रसासनिक अफसर के रिक्त पद पर दी गई है फिर जिला विकास अधिकारी कैसे देंगे वेतन भत्ते*
देहरादून-राज्य में किस तरह से नियम कानूनों जा मख़ौल उड़ाया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है।एक तरफ अटैचमेंट की ब्यवस्था को ख़त्म किया गया है दूसरी तरफ अटैचमेंट आदेश जारी किये जा रहे है।इसी प्रकार का अभी एक मामला ग्राम्य विकास विभाग में सामने आया है जिस पर अधिकारियो को जबाब देते नहीं बन रहा है।प्रसार प्रशिक्षण केंद्र शंकरपुर देहरादून में कार्यरत वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारी कल्पना नंदा को जिला विकास अधिकारी कार्यालय में अटैचमेंट किया गया है।जिस पर अनेक सवाल खड़े हो रहे है यह पद राजपत्रित अधिकारी का है जिस पर अटैचमेंट नहीं किया जा सकता है। फिर क्यों और किस मंशा से किया गया अटैचमेंट? कही जूनियर अफसर को सीनियर बनाने का खेल तो नहीं? एक ही जगह दो वरिष्ठ प्रसासनिक अफसर कैसे ? गौरतलब है की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारी पहले से ही कार्यरत है अब एक दूसरे अफसर को अटैच किया गया है।
6 जुलाई 17 तुलसी राम आयुक्त ग्राम्य विकास द्वारा दिए गए अटैचमेंट आदेश पर इस प्रकार की भाषा शैली का प्रयोग किया गया है की आम आदमी तो क्या खास भी उलझ कर रह जाय। लिखा गया है की कल्पना नंदा को मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष सबद्ध किया जाता है एवम इनके वेतन भत्ते जिला विकास अधिकारी द्वारा मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष अहतरित किये जायेंगे। अब गौर करने वाली बात यह है की जब मुख्य प्रसाशनिक अधिकारी के पद के सापेक्ष इनकी नई तैनाती दी गई है फिर वेतन भत्ते जिला विकास अधिकारी द्वारा क्यों अहतरित किये जायेंगे? जिला विकास अधिकारी द्वारा एक ही कार्यालय से दो वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारियो के वेतन भत्ते कैसे अहतरित कर सकते है यह भी बड़ा सवाल है ? इस सब को देखते हुए इन आदेशो में भी बडा झोल सामने आ रहा है।विभाग के ही कई अफसर इस तरह की प्रक्रिया को नियमो के खिलाफ के साथ नेतागीरी की आड़ में उच्च पदों को कब्जा ने की साजिश करार दे रहे है।तो कई कर्मी इसमे राजनितिक संरक्षण की बात कर रहे है।आयुक्त ग्राम्य विकास के आदेश में कल्पना नंदा की नई तैनाती मुख्य प्रसासनिक अधिकारी के रिक्त पद के सापेक्ष में की गई है।जबकि इस पद पर अभी डीपीसी होनी है और विभागीय सीनियर अफसर की ही तैनाती की जाती है।कल्पना नंदा से कई सीनियर अफसर यहाँ पर है फिर जूनियर को इस पद पर क्यों बिना डीपीसी के अटैचमेंट किया गया यह बड़ा सवाल है।इस पद पर जिला विकास अधिकारी कार्यालय में कार्यरत अफसर को भी चार्ज दिया जा सकता था।लेकिन ऐसा नहीं किया गया।विभाग के कई अफसर इससे खासे नाराज है जो अभी खुलकर कुछ नहीं कह रहे है।लेकिन देर सबेर अपना विरोध दर्ज करवाने में पीछे नहीं हटेंगे।एक सरकारी मुलाजिम ने नाम न छापने की शर्त पर कहते है की इस प्रकार के आदेश निर्देशो के कारण सरकार की जीरो टालरेंस की मुहिम पर भी बट्टा लग रहा है।कर्मचारियों का मनोबल भी इससे टूट रहा है।भले ही सरकार नियमो के तहत सिस्टम को संचालित करवाना चाह रही हो लेकिन जब तक अफसर शाही पर अंकुश एवम् नियमो का पाठ नहीं पढ़ाया जाता इसी तरह के नियमो की धज्जियाँ उड़ती रहेंगी और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते रहेंगे।ये भी सवाल--*एक ही ऑफिस में दो बरिष्ठ प्रसासनिक अफसर कैसे**जिला विकास अधिकारी एक पद की दो सैलरी को कैसे देंगे मंजूरी*अटैचमेंट ब्यबस्था जब ख़त्म की गई है फिर क्यों किया सबद्ध *नियमो की जानकारी के बाद भी क्यों दिए ऐसे आदेश**अन्य अफसरों की नाराजगी कैसे होगी दूर*जब तैनाती मुख्य प्रसासनिक अफसर के रिक्त पद पर दी गई है फिर जिला विकास अधिकारी कैसे देंगे वेतन भत्ते*
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