विधायक गणेश जोशी ने दिव्यांगजन की डॉक्यूमेंट्री का किया विमोचन


 देहरादून- मसूरी विधायक गणेश जोशी ने बायो इंजीनियर विजय नौटियाल के द्वारा किये गये कार्यों को सराहते हुए  उनके द्वारा दिव्यांग जन प्रेरणा 2017 केदारनाथ यात्रा पर दिव्यांग यात्रा 2017 फिल्म डॉक्यूमेंट्री का विमोचन भी किया और आगे भी इन कार्यों को आगे बढ़ाने को कहा उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कार्य करने में जो भी मदद कर पाएंगे उस पर पूरा सहयोग करेंगे।दिव्यांग  व्यक्ति को भले ही लोग हीन भावना से देखते है।लेकिन  बायो इंजीनियर विजय नोटियाल ऐसे शाररिक दिव्यांग  के लिए सहारा बन रहे है।कृत्रिम अंगो के सहारे सब कुछ किया जा सकता है।बस जरुरत है इन्हे शाररिक पुनर्वास के साथ मानसिक रूप से सुदृढ़ करने करने की। कृत्रिम अंग  प्रोस्थेटिस्थ  बायो इंजीनियर नोटियाल एक घटना का जिक्र करते हुए कहते है।मेरे गुरूजी के साथ हुई थी जिसने मेरी राह ही बदल दी।बात स्कूली समय की है  गुरूजी की रीढ़ की हड्डी में फैक्चर होने के कारण हड्डी की नस कट गई जिस कारण उनका निचला हिस्सा सुन्न हो गया कृत्रिम उपकरणों की जानकारी का आभाव एवम् नजदीक व्यवस्था न होने के कारण उन्हें व्हील चेयर पर ही चलना पडा।लेकिन गुरूजी हमें पढ़ाने व्हील चेयर में ही आने लगे उनकी स्थिति और हिम्मत देख,इसी दौरान मुझे पहाड़ की विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण मरीजो का चिकित्सा सुविधा से वंचित होने वाली लोगों की पीड़ा याद आई उनके धनभाव के कारण पीड़ित तक सुविधा न मिल पाने का वास्तविक अनुभव हुआ। जिससे प्रेरणा लेकर मैने दिव्यांग जन की सेवा करने का संकल्प लिया। इस घटना ने मेरी राह ही बदल दी। कई सालो से इन दिव्याङ्गो के लिए कार्य कर रहा हूँ बायो इंजीनियर नोटियाल बताते है की  2011 में मन में एक विचार आया की क्यों न इन दिव्यांगो से ऐसा कार्य करवाया जाय जो इनका मनोबल ऊँचा करने के साथ समाज एवम अन्य दिव्याङ्गो के लिए प्रेरणा बने। कृत्रिम पैर की सहायता से भारत में पहली बार हेमकुंड साहिब की दिव्याङ्गो ने 41 किलोमीटर की पैदल यात्रा की।फिर ये सिलसिला चलता गया  और 2015 व 2017 में दिव्यांग जनो पर कृत्रिम अंग लगाये गए थे। उन्हें भी बाबा केदारनाथ  कपाटोत्सव के अवसर पर पैदल यात्रा की  गई। बायो इंजीनियर नोटियाल बताते है कि इन  दिव्यांग ने अत्यन्त दुर्गम खड़ी चढ़ाई सामान्य जन की तरह चढ़कर यात्रा की यह अपने आप में अविश्मरणीय अनुभव रहा।वे कहते है की शारारिक दिव्यांग व्यक्ति को शाररिक पुनर्वास के साथ मानसिक रूप से सुदृढ़ करने की भी आश्यकता है।

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