उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ ने 18 करोड़ केवल कमीशन में बांटे

चंद्र प्रकाश बुडाकोटी की कलम सें....
उत्तराखंड राज्य में जिस प्रकार से संशाधनों की लूट मची है वह किसी से छुपा नहीं ,इन सत्रह सालों में नीति नियंताओं ने भी इन सरकारी गैर सरकारी लुटेरों  को लूटने की खुली छुट दे रखी है।राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली उत्तराखंड  सहकारी संघ के प्रबंधन ने दस सालों में अठारह करोड़ का एजेंटों को कमीशन दे दिया तो क्या कहेंगे यह सब जाँच में सामने आया है।गौरतलब है की उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ के अधीन आने वाली को-ऑपरेटिव ड्रग्स फैक्ट्री रानीखेत अल्मोड़ा एवम् उत्तराखंड स्टेट कॉपरेटिव मेडिसन्स एवम् फार्मास्युटिकल लिमिटेड हल्दुचोड़ जो की आयुर्बेदिक औषधि का निर्माण करती है। द्वारा दो हजार पांच से दो हजार सत्रह तक इन दस सालों में अठारह करोड़ छत्तीस लाख एक्कावन हजार सात सौ सोलह रुपये का कमीशन ही दे दिया।जबकि औषधि आपूर्ति आदेश सीधे ड्रग्स फेक्ट्री के नाम प्राप्त थे।एवम उनके सापेक्ष औषधि आपूर्ति विभिन्न राज्यो की राजकीय संस्थाओ को की गई ऐसी स्थिति में एजेंट की भूमिका पर किस रूप में तय थी यह भी सवाल खड़े हो रहे है। आरोप संघ प्रबंधन तंत्र पर भी उठ गए है कही इन एजेंटों के जरिये प्रबंधन की जेबों में तो यह करोडो की धनराशि तो नहीं पहुँचाई गई।
हैरानी की बात यह है की चार माह से यह जाँच रिपोर्ट शासन की अलमारियों की शोभा बढ़ा रही है।जीरो टालरेंस की बात करने वाली टीएसआर सरकार के अधिकारी इन पर कार्रवाही करने से क्यों कतरा रहे है? अठ़ारह करोड़ रुपये एजेंटों को क्यों और किसके कहने पर दिए गए?
  इस सस्थान की बिपनण ब्यवस्था राज्य की मुख्य रूप से राजकीय आपूर्ति पर निर्भर होती है।संघ के प्रबंधन ने दो हजार दस ऑडिट की आपत्ति पर ध्यान न देकर एजेंट को करोडो का भुगतान किया गया।
हालाँकि अनुबंध के आधार पर एजेंट की नियुक्ति की जाती है जिन्हें 30 से 45 प्रतिशत तक कमीशन दिया जाता है।लेकिन इन दस सालों में जो भी औषधि सरकारी संस्थाओ को संघ द्वारा बेचीं गई उसके आदेश सीधे फैक्ट्री स्तर से किये गए थे फिर एजेंटों को करोडो का भुगतान क्यों किया गया यह बड़ा सवाल है।बता दे की सहकारी संघ में ब्याप्त भ्रस्टाचार व वित्तीय अनिमित्ताओ की शिकायत जब शासन से की गई तो शासन ने एक अप्रैल दो हजार सत्रह को उपनिबंधक एमपी त्रिपाठी की अध्क्षता में एक जाँच समिति गठित की जाँच अधिकारियो ने भी अपनी जाँच रिपोर्ट में भारी वित्तीय अनिमितता की और ईशारा किया साथ ही पूरी तरह से प्रबंधन द्वारा नियमों की अवहेलना, अपने कर्तब्यो एवम दायित्वो के निर्वहन में लगातार आगाह के बाद भी चूक की जा रही थी।इसका उल्लेख भी जाँच समिति ने अपनी जाँच रिपोर्ट में किया है। प्रबंध कमेठी के विरुद्ध उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम 2003 एवम उत्तराखंड सहकारी समिति नियमावली 2004 के अंतर्गत कार्यवाही किये जाने बाबत लिखा है लेकिन गौर करने वाली बात यह है की चार माह से करोडो की अनिमित्तत्ता की जाँच रिपोर्ट शासन की अलमारियों की शोभा बढ़ा सरकार की जीरो टालरेंस का भी मुंह चिढ़ा रही है। ख़बर का भाग एक है । भाग दो अगले अंक में.......

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