प्रधानमंत्री से पाकिस्तान भेजनें की गुजारिश करते गढ़वाली के परिजन
कोटद्वार – उत्तराखंड सरकार जिस वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के मुद्दों को लेकर लोगों को और सैन्य अधिकारियों को सम्मानित करती है उसी पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों ने देश की न्यायपालिका और न्याय व्यवस्था से थक हार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें पडोसी मुल्क पाकिस्तान भेजनें की गुजारिश की है.दरअसल जिस देश के लोकतंत्र की खातिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजो के खिलाफ खुला सैनिक विद्रोह कर कालापानी की सजा पाई थी उसी गढ़वाली के परिजनों को आज़ाद हिन्दुस्तान के हुक्मरानों ने अवैध अतिक्रमणकारी घोषित कर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुँचा दी है.जंगे आज़ादी के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सैनिक विद्रोह से लेकर जन आंदोलनों से अंग्रेज इतने बौखला गये थे कि उनकी सारी संपति जब्त कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया था.जंगे आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा अभिभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान कोटद्वार के हल्दुखाता में लीज पर कुछ जमीन उनके परिजनों के साथ गुजर बसर के लिए दी गई.लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से इस लीज की ज़मीन को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा.लेकिन इस बार तो हद तब हो गई जब वीर गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें यह ज़मीन खाली करने का लिखित फरमान सुना दिया.इस फरमान ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को इतना लज्जित कर दिया है कि उन्हें उस देश को छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेने के लिए प्रधानमंत्री से गुजारिश करनी पड़ रही है,जिस देश की आज़ादी के लिए वीर गढ़वाली ने कालापानी की सजा भुगतने के साथ ही अंग्रेजो की पीड़ादायक यातनाएं सही थी... हिमांशु बडोनी की रिपोर्ट
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा अभिभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान कोटद्वार के हल्दुखाता में लीज पर कुछ जमीन उनके परिजनों के साथ गुजर बसर के लिए दी गई.लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से इस लीज की ज़मीन को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा.लेकिन इस बार तो हद तब हो गई जब वीर गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें यह ज़मीन खाली करने का लिखित फरमान सुना दिया.इस फरमान ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को इतना लज्जित कर दिया है कि उन्हें उस देश को छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेने के लिए प्रधानमंत्री से गुजारिश करनी पड़ रही है,जिस देश की आज़ादी के लिए वीर गढ़वाली ने कालापानी की सजा भुगतने के साथ ही अंग्रेजो की पीड़ादायक यातनाएं सही थी... हिमांशु बडोनी की रिपोर्ट
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