उत्तराखंड की बागडोर नौसिखए तथा अनुभवहीन नेता के हाथ ...
देहरादून-उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कार्यालय में जय प्रकाश उपाध्याय ने आगामी नगर निगम चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तथा राज्य सरकार के टकराव प्रकरण पर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल हो गई है चाहे राजधानी गैरसैंण बनाने का मामला हो, स्थानीय निकाय के सीमा विस्तार का मामला हो, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने का मामला हो, कर्मचारियों को नियमितीकरण कराने का मामला हो,किसानों के कर्ज को माफ करने मामला हो, चाहे राज्य के विकास करने का मामला हो।राज्य सरकार द्वारा केवल विकास के नाम पर शराब की दुकानें खोलने पर जोर दिया गया है। यहां तक की मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी ,स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा को बढ़ाने बजाएं सरकार उनका नियमित रूप से संचालन नहीं कर पाई है।यह सरकार की विफलता का नतीजा है। सबसे बड़ा मजाक राज्य सरकार द्वारा यह किया गया है कि राज्य गठन के बाद 17- 18 वर्षों में अभी तक
लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत होने वाले चुनाव का संचालन सरकारों द्वारा समय पर किया जाता रहा है।किंतु वर्तमान सरकार निकाय चुनाव न कराने के कारण विवादों में आ गई है। इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार आमने सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सरकार को तत्काल निकाय चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया जाना चाहिए था।किंतु आयोग द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श न करने का आरोप यह दर्शाता है कि सरकार जनता के साथ-साथ राज्य की प्रशासनिक इकाइयों एवं संवैधानिक इकाइयों के साथ समन्वय नहीं बनाना चाहती।इस पर यह प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की माली हालत बड़ी नाजुक हो चुकी है।राज्य सरकार के पास केवल 17 करोड रुपए भी चुनाव कराने के लिए नहीं है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के इस प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी पर डाल दिया है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस प्रकार की संवैधानिक आयोगों को ठेंगा दिखाना और उनके प्रस्ताव पर विचार न करना सरकार की दुर्भावना एवं साजिश के साथ सरकार की अपरिपक्वता तथा और अदूरदर्शीता को भी को उजागर करता है। उत्तराखंड की बागडोर इस समय नौसिखए तथा अनुभवहीन भाजपा नेताओं के हाथ में हैं।उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा इस प्रकरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार से मांग की जाती है कि वह तत्काल अपना कार्यकाल समाप्त करने की घोषणा करें।सरकार अपना इस्तीफा राज्यपाल को को सौपे और अपना बोरिया बिस्तर बांध ले। प्रदेश सरकार तत्काल जनता से अपनी विफलताओं के लिए माफी मांगे।राज्य सरकार ने अभी तक ऐसे जनविरोधी फैसले लिए है जिस से माफियाओं को फायदा हो रहा है।सीमा विस्तार का लाभ जनता को न मिलकर केवल भूमाफियाओं को मिल रहा है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के कारण अनेक मामले न्यायालय तक पहुंच गए।जो उत्तराखंड जैसे नए राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य में निकाय चुनाव 3 मई तक करा लिए जाने चाहिए थे। अब अगर सरकार हड़बड़ी में यह कार्यक्रम जारी कर देती है तो उससे राज्य के समस्त नागरिक, अधिकारी वर्ग, कर्मचारी वर्ग और जनता वर्ग को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उत्तराखंड क्रांति दल आज की पत्रकार वार्ता के माध्यम से मांग करता है कि प्रदेश सरकार अपने अब तक के कार्यकाल की उपलब्धियों पर श्वेत पत्र जारी करे।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत होने वाले चुनाव का संचालन सरकारों द्वारा समय पर किया जाता रहा है।किंतु वर्तमान सरकार निकाय चुनाव न कराने के कारण विवादों में आ गई है। इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार आमने सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सरकार को तत्काल निकाय चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया जाना चाहिए था।किंतु आयोग द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श न करने का आरोप यह दर्शाता है कि सरकार जनता के साथ-साथ राज्य की प्रशासनिक इकाइयों एवं संवैधानिक इकाइयों के साथ समन्वय नहीं बनाना चाहती।इस पर यह प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की माली हालत बड़ी नाजुक हो चुकी है।राज्य सरकार के पास केवल 17 करोड रुपए भी चुनाव कराने के लिए नहीं है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के इस प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी पर डाल दिया है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस प्रकार की संवैधानिक आयोगों को ठेंगा दिखाना और उनके प्रस्ताव पर विचार न करना सरकार की दुर्भावना एवं साजिश के साथ सरकार की अपरिपक्वता तथा और अदूरदर्शीता को भी को उजागर करता है। उत्तराखंड की बागडोर इस समय नौसिखए तथा अनुभवहीन भाजपा नेताओं के हाथ में हैं।उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा इस प्रकरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार से मांग की जाती है कि वह तत्काल अपना कार्यकाल समाप्त करने की घोषणा करें।सरकार अपना इस्तीफा राज्यपाल को को सौपे और अपना बोरिया बिस्तर बांध ले। प्रदेश सरकार तत्काल जनता से अपनी विफलताओं के लिए माफी मांगे।राज्य सरकार ने अभी तक ऐसे जनविरोधी फैसले लिए है जिस से माफियाओं को फायदा हो रहा है।सीमा विस्तार का लाभ जनता को न मिलकर केवल भूमाफियाओं को मिल रहा है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के कारण अनेक मामले न्यायालय तक पहुंच गए।जो उत्तराखंड जैसे नए राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य में निकाय चुनाव 3 मई तक करा लिए जाने चाहिए थे। अब अगर सरकार हड़बड़ी में यह कार्यक्रम जारी कर देती है तो उससे राज्य के समस्त नागरिक, अधिकारी वर्ग, कर्मचारी वर्ग और जनता वर्ग को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उत्तराखंड क्रांति दल आज की पत्रकार वार्ता के माध्यम से मांग करता है कि प्रदेश सरकार अपने अब तक के कार्यकाल की उपलब्धियों पर श्वेत पत्र जारी करे।
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