6 बातों का रखें ध्यान डेंगू से रहे सावधान-डा राजेन्द्र डोभाल
देहरादून-डा0राजेन्द्र डोभाल ने कहाकि मैं अक्सर उत्तराखण्ड के उत्पाद के बारे में जानकारी देना पसंद करता हूँ, लेकिन मेरे द्वारा इस एक ऐसे मुद्दे के बारे में बताया जा रहा है जो आने वाले मौसम के कारण होने वाली बीमारियों के बारे में जनसामान्य को पता न हो। इन बीमारियों के बारे में सामान्यतः न तो अबखारों में महत्व दिया जाता है और न ही किसी अन्य सूचना तंत्र से।डेंगू, चिकनगुनिया, इबोला आदि वायरस क्रमशः नये नाम है जो कि सामान्यतः जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न एवं भलिभांति विकसित हो गये। इनकी चार प्रजाति हैं एवं वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग 198 प्रकार के वायरस जिनमें डेंगू, चिकनगुनिया, इबोला आदि शामिल हैं, अपने लिये अनुकूल मौसम के आने का इंतजार करते हैं। हर वायरस का अपना एक अलग गुण होता है और वह बीमारी पैदा करेंगे जिसके बारे में चिकित्सा एवं वैज्ञानिक जगत में जानकारी शून्य है क्योंकि इन वायरस की क्रिया-प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न लक्षण या प्रोटीन के बदलाव के अध्ययन के बाद भी कोई डायग्नोस्टिक, वैक्सीन एवं उपचार आदि सम्भव है। जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का यह सजग उदाहरण है।
मच्छर प्रायः इन वायरस के परिवहन तंत्र का काम करता है। अतः अगर आप संभावित बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले मच्छरों से बचना होगा और अगर मच्छरों से बचना है तो डेंगू के मच्छर से बारे में भी आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि आप इससे अपना बचाव कर सकें। कुछ जानकारी मैं साझा कर रहा हूँ जो निम्नवत् है :- डेंगू मच्छर कम ऊँचाई पर उड़ने वाला मच्छर है जो अधिकतम 2.5 फीट तक ही उड़ सकता है। अतः 2.5 फीट से ऊपर यह शरीर के अन्य हिस्से में नहीं काट सकता। इसका अर्थ यह है कि आप अपने शरीर के पैर से घुटने तक का हिस्सा सदैव ढककर रखें। मार्निंग वाक के समय हाफ पैंट एवं टीसर्ट पहनकर न चलें एवं जूते व मौजे पहनकर ही घर से बाहर निकलें।- यह मच्छर सुबह 6 से 10 बजे तक ही सक्रिय रहता है। अतः ज्यातातर संक्रमण की संभावना प्रातः कालीन भ्रमण करने वालों को ही होती है और घर ही ग्रहणियों पर भी इसके संक्रमण की बराबर संभावना बनी रहती है क्योंकि - यह मच्छर फ्रीज के पीछे, सोफों के नीचे या किचन के निचले हिस्सों पर सुरक्षित रहता है। इस समय ग्रहणियां अपने परिवार के लिये चाय-नास्ते की व्यवस्था एवं घर की सफाई इत्यादि करती हैं। अतः इन स्थानों पर उचित स्प्रे, साफ-सफाई रखना बेहतर होगा।- यह मच्छर सांय को 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक पुनः सक्रिया हो जाता है। अतः सांय कालीन भ्रमण या निवास स्थान पर भी वही सावधानियां बरतनी चाहिये जो कि प्रातः कालीन समय में। एक अध्ययन से यह प्रतीत हुआ है कि डेंगू मच्छर बिजली के खम्बों के नीचे बहुत ज्यादा संख्या में पाये जाते हैं एवं रात को जलने वाली स्ट्रीट लाइट के कारण यह खम्बों की ओर आकर्षित होते हैं और अपना निवास स्थान बनाते हैं। अतः बिजली के खम्बों के नीचे कहीं न बैठे। डेंगू मच्छर स्थिर पानी के बजाये चलते पानी को ज्यादा पसंद करता है एवं यहां इनका प्रजनन होता है। यहीं कारण है कि सबसे ज्यादा डेंगू के मामलें नहर के किनारे निवास करने वाले के यहां ही मिलते हैं। हरिद्वार इसका एक ज्वलंत उदाहरण हैं। अतः नहर के समीप निवास करने वालों लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिये।डेंगू की जांच के नमूने पहले दिल्ली जाया करते थे लेकिन डेंगू एवं चिकनगुनिया की जांच की सुविधा अब देहरादून के महंत इंदिरेश हास्पिटल में भी उपलब्ध है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्, दिल्ली ने इनके डोमेस्टिक, डायग्नोस्टिक किट भी बनाये हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है। कई स्थलों पर थर्मल फोगिंग भी की जाती है जो सफल नहीं है। अतः कीटनाशक को भी सामान्यतः उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद एवं एलोपैथी में कई प्रकार के नुस्खे का सुझाव दिया जाता है किन्तु मैं खुद को उपरोक्त बिन्दुओं तक ही सीमित करूंगा क्योंकि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।
मच्छर प्रायः इन वायरस के परिवहन तंत्र का काम करता है। अतः अगर आप संभावित बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले मच्छरों से बचना होगा और अगर मच्छरों से बचना है तो डेंगू के मच्छर से बारे में भी आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि आप इससे अपना बचाव कर सकें। कुछ जानकारी मैं साझा कर रहा हूँ जो निम्नवत् है :- डेंगू मच्छर कम ऊँचाई पर उड़ने वाला मच्छर है जो अधिकतम 2.5 फीट तक ही उड़ सकता है। अतः 2.5 फीट से ऊपर यह शरीर के अन्य हिस्से में नहीं काट सकता। इसका अर्थ यह है कि आप अपने शरीर के पैर से घुटने तक का हिस्सा सदैव ढककर रखें। मार्निंग वाक के समय हाफ पैंट एवं टीसर्ट पहनकर न चलें एवं जूते व मौजे पहनकर ही घर से बाहर निकलें।- यह मच्छर सुबह 6 से 10 बजे तक ही सक्रिय रहता है। अतः ज्यातातर संक्रमण की संभावना प्रातः कालीन भ्रमण करने वालों को ही होती है और घर ही ग्रहणियों पर भी इसके संक्रमण की बराबर संभावना बनी रहती है क्योंकि - यह मच्छर फ्रीज के पीछे, सोफों के नीचे या किचन के निचले हिस्सों पर सुरक्षित रहता है। इस समय ग्रहणियां अपने परिवार के लिये चाय-नास्ते की व्यवस्था एवं घर की सफाई इत्यादि करती हैं। अतः इन स्थानों पर उचित स्प्रे, साफ-सफाई रखना बेहतर होगा।- यह मच्छर सांय को 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक पुनः सक्रिया हो जाता है। अतः सांय कालीन भ्रमण या निवास स्थान पर भी वही सावधानियां बरतनी चाहिये जो कि प्रातः कालीन समय में। एक अध्ययन से यह प्रतीत हुआ है कि डेंगू मच्छर बिजली के खम्बों के नीचे बहुत ज्यादा संख्या में पाये जाते हैं एवं रात को जलने वाली स्ट्रीट लाइट के कारण यह खम्बों की ओर आकर्षित होते हैं और अपना निवास स्थान बनाते हैं। अतः बिजली के खम्बों के नीचे कहीं न बैठे। डेंगू मच्छर स्थिर पानी के बजाये चलते पानी को ज्यादा पसंद करता है एवं यहां इनका प्रजनन होता है। यहीं कारण है कि सबसे ज्यादा डेंगू के मामलें नहर के किनारे निवास करने वाले के यहां ही मिलते हैं। हरिद्वार इसका एक ज्वलंत उदाहरण हैं। अतः नहर के समीप निवास करने वालों लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिये।डेंगू की जांच के नमूने पहले दिल्ली जाया करते थे लेकिन डेंगू एवं चिकनगुनिया की जांच की सुविधा अब देहरादून के महंत इंदिरेश हास्पिटल में भी उपलब्ध है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्, दिल्ली ने इनके डोमेस्टिक, डायग्नोस्टिक किट भी बनाये हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है। कई स्थलों पर थर्मल फोगिंग भी की जाती है जो सफल नहीं है। अतः कीटनाशक को भी सामान्यतः उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद एवं एलोपैथी में कई प्रकार के नुस्खे का सुझाव दिया जाता है किन्तु मैं खुद को उपरोक्त बिन्दुओं तक ही सीमित करूंगा क्योंकि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।
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