योग का प्रयोग पर्यावरण के लिये ......

ऋषिकेश-आयुष मंत्री, भारत सरकार श्रीपद येसो नाईक  एवं गुजरात से सांसद डाॅ  भारती शियाल परमार्थ निकेतन पहुंचे तथा उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  से भेंट कर आशीर्वाद लिया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने  श्रीपद येसो नाईक  से विभिन्न सामाजिक एवं पर्यावरण सम्बंधी विषयों पर विस्तृत चर्चा की, साथ ही उत्तराखण्ड़ के चार धाम पर्यटन, युवाओं के लिये कौशल विकास कार्यक्रम एवं युवाओं को योग के माध्यम से चिंतन शैली को सकारात्मक दिशा देने हेतु कार्यशालाओं के आयोजन पर चर्चा हुई।परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा, ’वसुधैव कुटुम्बकम‘ को साकार करने के लिये योग एक साधन है। योग, व्यक्ति को योग्य बनाता है और उस योग्यता का उपयोग समाज के लिये, पर्यावरण के लिये, नदियों के लिये तथा पूरी धरती को प्रदूषण मुक्त करने के लिये करें। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग से करें नये-नये प्रयोग और उन प्रयोगों का उपयोग विश्व बन्धुत्व के लिये समरसता,

सद्भाव संस्कार व संस्कृति और शान्ति की स्थापना के लिये करें। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा - योग का प्रयोग अब पर्यावरण के लिये करें। योग के साथ-साथ पर्यावरण योग भी बहुत जरूरी है। हमें पृथ्वी को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा। श्रीपद येसो नाईक  ने कहा कि वे परमार्थ आश्रम की गतिविधियों को देखकर अत्यंत प्रभावित हुये और कहा कि स्वामी  चिदानन्द सरस्वती के संचालन में जो विश्व स्तरीय कार्य सम्पन्न हो रहे हैं। उन्होने आश्रम में बड़ी संख्या में विदेशी भक्तों और सैलानियों को देखकर कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वैश्विक स्तर पर योग, भारतीय अध्यात्म एवं दर्शन को प्रतिष्ठित किया है यह उसी का उदाहरण है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि आयुष का दूरगामी सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। यही कारण है कि केंद्र सरकार के गठन के छह महीने के भीतर इसका अलग मंत्रालय बनाया गया। आयुर्वेद को लेकर देश में मौजूदा सिस्टम प्रभावी नहीं था। प्रधानमंत्री का विजन आज सही मायने में उतरने लगा है। मंत्रालय बनने के वाद योग दुनिया भर में छा गया। विश्व योग दिवस के बाद अधिकतर देश अब योग को मानने लगे हैं।योग एक शक्ति है और आयुर्वेद के जरिए दुनिया को बहुत कुछ दिया जा सकता है। योग की तरह ही आयुर्वेद को भी पूरी दुनिया में लेकर जाएंगे। देश में सब आयुर्वेद को जानते हैं, लेकिन इसके लिए लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। हर जिले में आयुष का अस्पताल बने, ऐसा काम किया जा रहा है। श्रीपद येसो नाईक  ने कहा कि पश्चिमी जगत की चिकित्सा पद्धतियां मुख्यतः बीमारियों के इलाज पर केंद्रित हैं, जबकि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के मूल में यह अवधारणा है कि लोग हमेशा निरोगी बने रहें।

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