भारत-पाक युद्ध के योद्धा कैप्टन विजेन्द्र गुरुंग को एक लाख की आर्थिक मदद
देहरादून- देश रक्षा में अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले भारतीय सेना के वीर योद्धा कैप्टन विजेन्द्र सिंह गुरुंग की स्थिति से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को अवगत कराने के बाद विधायक जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा विवेकाधीन कोष के माध्यम से कैप्टन गुरुंग को एक लाख की धनराशि जारी किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।कैप्टन विजेन्द्र सिंह गुरुंग ने भारत-पाक युद्ध के दौरान वर्ष 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी, पाकिस्तानी सेना द्वारा इन्हें कैद कर लिया गया था। कैप्टन विजेन्द्र सिंह गुरुंग ने अपनी शिक्षा किंग जोर्जिस मिलिट्री स्कूल चहल, हिमाचल प्रदेश से प्राप्त करने के बाद शॉट सर्विस कमीशन के माध्यम से 3 असम रेजिमेंट में भारतीय सेना को चुना। वे सेना के अत्यन्त बहादुर अधिकारी थे
और उनकी बटालिन ने अखनुर सैक्टर में 1971 में लड़ाई में भाग लिया। उनको छाब जूनियर सैक्टर, जम्मू-कश्मीर ने 03 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान द्वारा युद्व बंधक बना लिया गया। युद्ध शांत होने के बाद 1973 में रेड क्रॉस के सहयोग से उन्हें भारत को सौंप दिया गया।कैप्टन विजेन्द्र सिंह गुरुंग की मानसिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए 1977 में भारतीय सेना ने उन्हें डिसचार्ज दे दिया और उसके उपरान्त वे अपने गांव देहरादून के जोहड़ी में रहने लगे। तब से वह अत्यन्त दयनीय हालात में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सेना द्वारा भी उन्हें कोई पेंशन आदि नहीं दी जाती।इससे पहले मसूरी विधायक गणेश जोशी ने सैन्य अधिकारियों संग कैप्टन गुरुंग के आवास पर जाकर उनका हाल जाना। विधायक जोशी ने बताया कि वह अपनी मानसिक एवं शारीरिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आमजन से कटे-कटे रहते थे। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कैप्टन गुरुंग को दैनिक उपयोग की वस्तुऐं दी गई हैं और जल्द ही अन्य सुविधाऐं भी उपलब्ध करायी जाऐगी।इस अवसर पर कर्नल जेपी सिंह, ले0 कर्नल नवानी, ले0 कर्नल आलोक सिंह, संजय क्षेत्री, सिकन्दर सिंह, भाजपा नेता दीपक पुण्डीर, राजीव गुरुंग आदि उपस्थित रहे।
और उनकी बटालिन ने अखनुर सैक्टर में 1971 में लड़ाई में भाग लिया। उनको छाब जूनियर सैक्टर, जम्मू-कश्मीर ने 03 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान द्वारा युद्व बंधक बना लिया गया। युद्ध शांत होने के बाद 1973 में रेड क्रॉस के सहयोग से उन्हें भारत को सौंप दिया गया।कैप्टन विजेन्द्र सिंह गुरुंग की मानसिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए 1977 में भारतीय सेना ने उन्हें डिसचार्ज दे दिया और उसके उपरान्त वे अपने गांव देहरादून के जोहड़ी में रहने लगे। तब से वह अत्यन्त दयनीय हालात में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सेना द्वारा भी उन्हें कोई पेंशन आदि नहीं दी जाती।इससे पहले मसूरी विधायक गणेश जोशी ने सैन्य अधिकारियों संग कैप्टन गुरुंग के आवास पर जाकर उनका हाल जाना। विधायक जोशी ने बताया कि वह अपनी मानसिक एवं शारीरिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आमजन से कटे-कटे रहते थे। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कैप्टन गुरुंग को दैनिक उपयोग की वस्तुऐं दी गई हैं और जल्द ही अन्य सुविधाऐं भी उपलब्ध करायी जाऐगी।इस अवसर पर कर्नल जेपी सिंह, ले0 कर्नल नवानी, ले0 कर्नल आलोक सिंह, संजय क्षेत्री, सिकन्दर सिंह, भाजपा नेता दीपक पुण्डीर, राजीव गुरुंग आदि उपस्थित रहे।
Comments
Post a Comment