इक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति एच ई रोसैला आर्गेटा सरनो ने गंगा आरती कर मनाया क्रिसमस

ऋषिकेश  - परमार्थ निकेतन में पीपल का पौधा रोपण कर क्रिसमस का पर्व मनाया गया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सानिध्य में विश्व के अनेक देशों एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने मिलकर पीपल और तुलसी के पौधे का रोपण किया और संदेश दिया
प्रतिकात्मक ट्री (पौधे) का रोपण कर पर्व मनाने में वास्तिविक खुशी नहीं मिलती वास्तविक खुशी तो प्राणवायु आॅॅक्सिजन देने वाले पौधों का रोपण कर मिलती है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं इक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति एच ई रोसैला आर्गेटा सरनो ने पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’क्रिसमस के पर्व पर हम क्रिसमस ट्री के नीचे गिफ्ट रखते है और गिफ्ट की कामना करते है परन्तु मुझे लगता है कि अब गिफ्ट लेने का नहीं प्रकृति को पौधों का गिफ्ट देने का समय है। उन्होने कहा कि हम अब तक संता से गिफ्ट लेते आये है अब शान्ति और अमन का गिफ्ट देने का समय है; प्रकृति को हरित सौगात देने का समय है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने क्रिसमस पर्व पर दिये संदेश  में कहा कि आज जब सभी क्रिसमस ट्री लगा रहे है तब मुझे लग अब समय आ गया है कि हम लोग पीपल, तुलसी के पौधों के साथ फलदार, जड़दार, छायादार, फूलदार पौधों का रोपण करें तो यह बहुत बड़ी क्रान्ति हो सकती है। उन्होने कहा कि आज के दिन सभी लोगों को पौधों का रोपण अवश्य करना चाहियें। आज सभी को यह संकल्प लेना चाहिये कि हम अपने पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त बनायें। सभी पर्वों को हरित पर्व के रूप में मनायें, प्राकृतिक संपति का अपव्यय न करें और पर्यावरण को प्लास्टिक से मुक्त करने का संकल्प लें।’ 
अमेरीका से आयी जुन ने कहा कि ’यह मेरे जीवन का पहला अवसर है जब क्रिसमस पर्व पर पौधा रोपण कर पर्व मनाया गया। उन्होने कहा कि आज मुझे क्रिसमस का सही अर्थ समझा है। क्रिसमस हरे रंग से रंगे पौधे लगाने का नहीं बल्कि हरियाली युक्त वातावरण के निर्माण का है।’
इक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति एच ई रोसैला आर्गेटा सरनो ने परमार्थ निकेतन की पावनगंगा आरती में सहभाग किया। उन्होने कहा कि भारत की संस्कृति वैश्विक बन्धुत्व की संस्कृति है। जिसने हमेशा जोड़ने का कार्य किया हैं। गंगा आरती में सहभाग करना मेरे जीवन के अविस्मरणीय क्षण हैं।
 स्वामी ने सभी को संकल्प करात हुये कहा कि हमारी संस्कृति पेड़ काटने की नहीं पेड़ लगाने की है। उन्होने सभी को हरित पर्व मनाने का, पृथ्वी को बचाने का, पौधा रोपण, जल एवं पर्यावरण संरक्षण संकल्प कराया।

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