मैड सदस्यों ने रिस्पना के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया

देहरादून - शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग ए डिफ्फेरेंस बाय बीइंग द डिफ्फेरेंस (मैड) संस्था ने रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के बारे में अपने ही युवा सदस्यों में एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाया। प्रातः काल सुबह छः बजे  मैड सदस्यों ने रिस्पना के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया
कई युवाओं ने पहली बार रिस्पना नदी को इस स्वरूप में देखा। शहर में मृत घोषित की जा चुकी रिस्पना में आज भी उद्गम स्थल में काफी पानी देखा जा सकता है। अनेकों पानी के स्त्रोत जहाँ पथरों के नीचे से रिस रिस कर पानी आता रहता है उन इलाकों को भी बच्चों ने देखा।गौरतलब है कि मैड संस्था द्वारा रिस्पना के पुनर्जीवन हेतु विगत छः वर्षों से काम किया जा रहा है। मैड संस्था की मुख्य मांग रही है कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की की उस शोध रिपोर्ट को लागू किया जाए जिसमे रिस्पना पुनर्जीवन का एक बुनियादी खाका खींचा गया है। इसके साथ साथ मैड ये भी मांग करता आया है कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को नमामि गंगे के तहत लिया जाए क्योंकि रिस्पना एवं बिंदाल को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गंगा बेसिन में घोषित किया जा चुका है।मैड के सदस्यों ने यह भी देखा कि कैसे जगह जगह कूड़ा करकट युवाओं द्वारा ही फेंका गया है।नाना प्रकार के रैपर, बोतलें, कैन इत्यादि देखने को मिले। इसको लेकर कैसे गहन सफाई अभियान चलाया जा सकता है। मुख्य सचिव ने रिस्पना पुनर्जीवन पर बैठकों का दौर शुरू कर दिया है और उम्मीद करती है कि इको टास्क फ़ोर्स द्वारा धरातल पर भी इसपे काम किया जायगा। अपनी ओर से संस्था हर संभव समर्थन सभी सरकारी विभागों को देती रहेगी और ज़मीनी स्तर पर भी अपना काम करती रहेगी। इस अभियान में मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, अक्षत चंदेल, श्रेया रोहिल्ला, सात्विक निझोन, गगन धवन, शिवम सोनि, इश्वित, प्रेरणा रावत मौजूद थे।

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