ब्रह्मज्ञान के द्वारा परमात्मा को जान लेता हैं वो मोक्ष पद प्राप्त करता है
देहरादून- ब्रह्मज्ञान से मनुष्य परमात्मा के समीप हो जाता है और निरंकार प्रभु को देखता है। देखकर जब इस ब्रह्मज्ञान के द्वारा परमात्मा को जान लेता हैं वो मोक्ष पद प्राप्त करता है, उक्त उद्गार संत निरंकारी भवन
भूमि हरिद्वार रोड बाईपास पर रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये ज्ञान प्रचारक संत मोलूराम आर्य ने व्यक्त किये। उन्होंने परमात्मा की सहज भक्ति के मार्ग पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मनुष्य की मंजिल परमात्मा को प्राप्त करने की होनी चाहिए और परमात्मा की प्राप्ति किसी ब्रह्मवेत्ता सद्गुरु से हो सकती है। जैसे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई तो सभी अभ्यास कर्म खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान का बीज इंसान के मनरूपी धरती पर पड़ता है तो मन ज्ञानी बन जाता है और ब्रह्म के साथ जुड़ा तो ब्रह्मज्ञानी। ब्रह्मज्ञान होने के बाद इंसान की वाणी, बुद्धि, कर्म, व्यवहार में बदलाव आ जाता है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों भक्तों ने विभिन्न भाषाओं का सहारा लेकर गीत, भजन और विचारों द्वारा सत्गुरु का गुणगान किया। मंच संचालन राजीव बिजल्वाण ने किया।
भूमि हरिद्वार रोड बाईपास पर रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये ज्ञान प्रचारक संत मोलूराम आर्य ने व्यक्त किये। उन्होंने परमात्मा की सहज भक्ति के मार्ग पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मनुष्य की मंजिल परमात्मा को प्राप्त करने की होनी चाहिए और परमात्मा की प्राप्ति किसी ब्रह्मवेत्ता सद्गुरु से हो सकती है। जैसे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई तो सभी अभ्यास कर्म खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान का बीज इंसान के मनरूपी धरती पर पड़ता है तो मन ज्ञानी बन जाता है और ब्रह्म के साथ जुड़ा तो ब्रह्मज्ञानी। ब्रह्मज्ञान होने के बाद इंसान की वाणी, बुद्धि, कर्म, व्यवहार में बदलाव आ जाता है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों भक्तों ने विभिन्न भाषाओं का सहारा लेकर गीत, भजन और विचारों द्वारा सत्गुरु का गुणगान किया। मंच संचालन राजीव बिजल्वाण ने किया।
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