युवा पीढ़ी को पुस्तक के माध्यम से करें जागृत एवं प्रोत्साहित- डी एम दीपक रावत
हरिद्वार-जिला मजिस्ट्रेट दीपक रावत को युवा लेखक सूरज प्रकाश कोठियाल ने अपनी पहली लिखी पुस्तक “द लाॅस्ट देवता” भेंट स्वरूप देकर उनकी शुभकांमनाऐं ली। दीपक रावत ने सूरज कोठियाल को उनकी पहली पुस्तक पर बधाई देते हुए कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से वे उत्तराखण्ड की नई युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित एवं जागृत करें। उन्होंने कहा कि युवा लेखक द्वारा प्राचीन हिमालय की
संस्कृति को इस पुस्तक के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की गयी है जोकि सराहनीय योग्य है। युवा लेखक सूरज ने कहा कि दीपक रावत को वे अपना आदर्श मानते हैं वे मेरी तरह उत्तराखण्ड के युवा पीढ़ी के आदर्श हैं उन्होंने कहा कि दीपक रावत की कार्य शैली और उनका व्यक्तित्व कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जैसा है। पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि पुस्तक की कहानी हिमालय के सात देवीय ढोल के चारों ओर घूमती है जो प्रधान पुजारी, नीलात्मा की अचानक मृत्यु के साथ बजना बंद हो गया है। लेकिन उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले नीलात्मा ने भैरव देवता के ढोल के कार्यवाहक राको अमेय को जादुई पत्थर का रहस्य बताया। हालांकि नीलात्मा के अंतिम संस्कार के समय पर राको अमेय ने नीर नामक एक युवा लड़के के पास वैसा ही पत्थर देखा जो नीलात्मा ने उसे बताया था। कहानी इस युवा लड़के पर आधारित है जो एक जादुई पत्थर में आती है और हिमालय के मुख्य पुजारी नीलात्मा की विरासत को आगे जारी रखता है।
संस्कृति को इस पुस्तक के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की गयी है जोकि सराहनीय योग्य है। युवा लेखक सूरज ने कहा कि दीपक रावत को वे अपना आदर्श मानते हैं वे मेरी तरह उत्तराखण्ड के युवा पीढ़ी के आदर्श हैं उन्होंने कहा कि दीपक रावत की कार्य शैली और उनका व्यक्तित्व कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जैसा है। पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि पुस्तक की कहानी हिमालय के सात देवीय ढोल के चारों ओर घूमती है जो प्रधान पुजारी, नीलात्मा की अचानक मृत्यु के साथ बजना बंद हो गया है। लेकिन उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले नीलात्मा ने भैरव देवता के ढोल के कार्यवाहक राको अमेय को जादुई पत्थर का रहस्य बताया। हालांकि नीलात्मा के अंतिम संस्कार के समय पर राको अमेय ने नीर नामक एक युवा लड़के के पास वैसा ही पत्थर देखा जो नीलात्मा ने उसे बताया था। कहानी इस युवा लड़के पर आधारित है जो एक जादुई पत्थर में आती है और हिमालय के मुख्य पुजारी नीलात्मा की विरासत को आगे जारी रखता है।
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