लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड भी एक तरह का ड्रग्स होती है

देहरादून-लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड एक तरह का ड्रग होता है, इसे नशे के आदी लोग ब्लॉटर पेपर के रूप में चाटते हैं, इसके लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता है, सेवन करने के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा लगने लगता है।आजकल के बढ़ते तनाव और फैशन ने युवाओं को नशीली दवाओं का आदी बना दिया है।
एल एस डी यानी लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड भी एक तरह का ड्रग्स होती है। जिसका सेवन करने के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा लगने लगता है। पर असल में यह एक तरह का नशा होता है जो उन्हें हकीकत से कोसों दूर लेकर चला जाता है। ये अहसास सुखद होते है लेकिन कभी-कभी उसे बहुत खतरनाक विचार आते हैं और उसे डरावने अहसास होते हैं एवं डरावने दृष्य दिखाई देने लगते हैं, इस स्थिति को “बैड ट्रिप” कहा जाता है।
क्या होता है एल. एस. डी को एसिड, ब्लॉटर या डॉट्स भी कहा जाता है। यह स्वाद मे कड़वी, गंधरहित और रंगहीन दवा होती है। बाजार में रंगीन टेबलेट, पारदर्शी तरल, जिलेटिन के पतले-पतले वर्ग के रूप में या सोख्ता कागज (ब्लॉटर पेपर) के रुप में मिलती है। आमतौर पर इसे नशे के आदी लोग ब्लॉटर पेपर के रूप में चाटते हैं, या टेबलेट के रूप में लेते हैं, जबकि जिलेटिन और तरल के रूप में इसे आँखों में रखा जा सकता है।
एल.एस.डी सेवन के लक्षण-इसका सेवन करने वालों की आँखों की पुतलियाँ तन जाती है जैसे पुतलियाँ खींच कर लम्बी कर दी गयी हों। बहुत ज्यादा पसीना आना, जैसे व्यक्ति में असहजता और घबराहट की स्थिति में होता है। इसका सेवन करने के बाद व्यक्ति अपने होशो हवाश खो देता है। उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है मानों उसके आसपास होने वाली बातें वास्तविक ही ना हो। व्यवहार में अचानक ही बदलाव आने लगता है। 
 हृदय गति और रक्त चाप बढ़ जाना, इस स्थिति में आमतौर व्यक्ति की आँखें, कनपटी और कान की लौ (कान का वह भाग जहां पर महिलाएं इयर रिंग पहनती हैं) सामान्य दिनों की अपेक्षा हल्के लाल हो जाते हैं। 
कैसे होते है दुष्प्रभाव- एल एस डी का सेवन करने से गंभीर मनोरोग होने की संभावना होती है।इसका प्रयोग करने वालों को, कभी- कभी एल. एस. डी फ्लैश बैक हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बिना ये ड्रग्स लिए ही उसके प्रभाव का अनुभव होने लगतें हैं। यह स्थिति ड्रग्स बंद करने के कुछ दिनों से लेकर साल भर से भी ज्यादा समय बाद, कभी भी हो सकती है। यह स्थिति सालों तक रह सकती है। व्यक्ति को हलुसिनोजेन पेर्सिस्टिंग परसेप्शन डिसॉर्डर (भ्च्च्क्) हो सकता है इसमें भी ऊपर स्थिति की तरह फ्लैश बैक हो सकता है।
कैसे करते है इसकी पहचान  एल एस डी के सेवन को पहचान पाना भी आसान नहीं होता है। इसका असर सामान्य स्थिति में 24 घंटे में खत्म हो जाता है और किसी प्रकार की दवाई या जाँच (टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट्स) की जरूरत नहीं होती। साथ ही यह सामान्य जांचों के द्वारा सामने भी नहीं आता। इसके लिए विशेष प्रकार की रक्त जाँच का प्रयोग किया जाता है। इस नशे के आदि व्यक्ति को देख कर ही पहचाना जा सकता है।
कैसे करे इसका इलाज-यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इसका इलाज किया जाए कि व्यक्ति की ड्रग्स लेने की इच्छा न हो। मादक पदार्थ फिर से शुरू करने से बचने के लिए उसको काउंसलिंग और बिहैवियरल ट्रीटमेंट दिया जाता है। जबकि विथड्रॉल के लक्षणों से बचने के लिए कुछ दवाइयाँ, जैसे  निकोटीन पैचेज और मेथाडॉन, नालट्रेक्सोन या सबॉक्सोन दिया जा सकता है।

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