"उत्रैणी"पर्व भी उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण त्यौहार हैं मगर पर अवकाश नहीं

देहरादून-"उत्रैणी"पर्व भी उत्तराखंडियौं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। 80% उत्तराखंडियौं का त्यौहार होने के बाबजूद इस त्यौहार पर अवकाश की घोषणा नहीं कर पाए इन सत्रह वर्षों में ।लगभग 5% बिहार के लोगों में सरकार ने ऐसा क्या देखा जो शासकीय अवकाश घोषित करना पड़ा ? उत्तराखंड के अधिकांश पर्व केवल उत्तराखंड में ही मनाया जाता हैं और किसी भी प्रदेश में नहीं मनाया जाता है अब राजनीति ने इस
उत्तराखंड को वोट बैंक के लिए यहां पर सांस्कृतिक घुसपैठ भी शुरू कर दी हैं,अभी हाल ही में उत्तराखंड पौडी़ गढ़वाल जिले के दूर दराज क्षेत्र बैजरौं में  महिलाओं द्वारा करवा चौथ भी बडे धूम धाम से मनाया  जा रहा है अब उत्तराखंड की राजधानी के बाजार  करवा चौथ बिहार के छठपर्व मनाने के लिए सज गए हैं। 
  मुसलमानों की घुसपैठ उत्तराखंड में शुरू हो गई है आने वाले समय में उत्तराखंड की सरकार रोंहिग्या को खुश करने उनके त्यौहारौं के लिए भी इस प्रकार ही कुछ करें।
उत्तराखंडियौं का अब केवल एक ही काम रह गया है वोट देकर सरकार बनाना। वह भी दिल्ली में बैठे आकाऔं की। जिन्होंने राज्य प्राप्ति के लिए अपने प्राणौं की आहुति दी आज उनपर केवल राजनीति हो रही है। उत्तराखंड में अब न हमारी बोली भाषा का महत्व है न व्रत त्यौहारौं का आप किसी दूसरे प्रदेश में देखो तो सभी न्यूज़ चैनल स्थानीय भाषा में भी समाचार दिखाते हैं लेकिन उत्तराखंड में गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में कोई भी समाचार प्रसारित नहीं होता है । उत्तराखंड बनाकर उत्तराखंडियौं ने क्या पाया बाहरी व्यक्तियों का बोझ और उनके त्यौहार कुछ सालों बाद उत्तराखंड वासियों की बोली भाषा भी खत्म हो जाएगी।

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