उत्तराखण्ड में लाॅन्च किया जाएगा मीज़ल्स रूबेला टीकाकरण अभियान
देहरादून- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा टीकाकरण तकनीकी ईकाई के प्रमुख विकास साझेदारों के सहयोग से आज देहरादून में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान पर पत्रकारों के साथ एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया।टीकाकरण के उपायुक्त डाॅ प्रदीप हल्दर ने बैठक की अध्यक्षता की। इस मौके पर शिरकत करने वाले अन्य दिग्गजों में शामिल थे डाॅ अर्चना श्रीवास्तव, डायरेक्टर, स्वास्थ्य, उत्तराखण्ड सरकार; नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन डायरेक्टर चंद्रेश कुमार, डाॅ भारती राणा, राज्य टीकाकरण अधिकारी, उत्तराखण्ड, जिन्होंने राज्य में लाॅन्च किए जाने वाले खसरा रूबेला अभियान का विवरण दिया। यह अभियान 13 ज़िलों के 28,35,658 बच्चों को कवर करेगा।
भारत 2020 तक मीज़ल्स यानि खसरे के उन्मूलन तथा रूबेला काॅन्जेनाइटल रूबेला सिन्ड्रोम के नियन्त्रण हेतू प्रतिबद्ध है। दुनिया भर में अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान 9 महीने से लेकर 15 साल की उम्र तक के तकरीबन 41 करोड़ बच्चों को कवर करेगा। अभियान के दौरान बच्चों को मीज़ल्स रूबेला (एमआर) टीकाकरण की एक खुराक दी जाएगी। अभियान के बाद एमआर टीका नियमित टीकाकरण का एक भाग बन जाएगा, जो खसरे यानि मीज़ल्स के टीके को प्रतिस्थापित कर देगा। जिसे वर्तमान में 9-12 माह तथा 16-24 माह की उम्र में बच्चों को दिया जाता है।कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उपायुक्त डाॅ प्रदीप हल्दर ने कहा, ‘‘टीकाकरण बच्चों के जीवन एवं भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे प्रभावी और किफ़ायती तरीका है। सभा को सम्बोधित करते हुए युनिसेफ इण्डिया से सोनिया सरकार ने कहा, ‘‘पोलियो के खिलाफ़ लड़ाई में मीडिया हमारा पुराना साझेदार रहा है। हम एक बार फिर से आपसे सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ताकि हर बच्चा, चाहे वह कहीं पर भी हो, उसे सम्पूर्ण टीकाकरण मिल सके।इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ आर विश्वकर्मा ने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन खसरे के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के उद्घाटन के लिए भारत को बधाई देता है। खसरा बच्चों के लिए सबसे घातक और जानलेवा बीमारियों में से एक है, वहीं काॅन्जेनाइटल रूबेला सिन्ड्रोम, अनुत्क्रमणीय जन्मजात दोषों का कारण है। भारत पहले से ही छोटी चेचक (स्माॅल पाॅक्स), पोलियो, जच्चा-बच्चा टिटेनस और याॅज़ जैसी बीमारियों को मात दे चुका है। आने वाले समय में खसरे की जंग में जीत हमें लाखों और बच्चों की ज़िन्दगियां बचाने में मदद करेगी और हम सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।उत्तराखण्ड सरकार ने युनिसेफ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा सिविल सोसाइटी संगठनों, साझेदारों, अकादमिज्ञों एवं मीडिया के सहयोग से टीकाकरण से जुड़े मिथकों को दूर करने और इसके प्रति लोगों में भरोसा पैदा करने के प्रयास किए हैं ताकि देश के हर बच्चे को अपने जीवन की सही शुरूआत करने का मौका मिले। फैलती है। 2015 में खसरे के कारण दुनिया भर में 134,200 मौतें हुईं, जिसमें से भारत में इसकी 36 फीसदी यानि 49,200 मौतें हुईं।
भारत 2020 तक मीज़ल्स यानि खसरे के उन्मूलन तथा रूबेला काॅन्जेनाइटल रूबेला सिन्ड्रोम के नियन्त्रण हेतू प्रतिबद्ध है। दुनिया भर में अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान 9 महीने से लेकर 15 साल की उम्र तक के तकरीबन 41 करोड़ बच्चों को कवर करेगा। अभियान के दौरान बच्चों को मीज़ल्स रूबेला (एमआर) टीकाकरण की एक खुराक दी जाएगी। अभियान के बाद एमआर टीका नियमित टीकाकरण का एक भाग बन जाएगा, जो खसरे यानि मीज़ल्स के टीके को प्रतिस्थापित कर देगा। जिसे वर्तमान में 9-12 माह तथा 16-24 माह की उम्र में बच्चों को दिया जाता है।कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उपायुक्त डाॅ प्रदीप हल्दर ने कहा, ‘‘टीकाकरण बच्चों के जीवन एवं भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे प्रभावी और किफ़ायती तरीका है। सभा को सम्बोधित करते हुए युनिसेफ इण्डिया से सोनिया सरकार ने कहा, ‘‘पोलियो के खिलाफ़ लड़ाई में मीडिया हमारा पुराना साझेदार रहा है। हम एक बार फिर से आपसे सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ताकि हर बच्चा, चाहे वह कहीं पर भी हो, उसे सम्पूर्ण टीकाकरण मिल सके।इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ आर विश्वकर्मा ने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन खसरे के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के उद्घाटन के लिए भारत को बधाई देता है। खसरा बच्चों के लिए सबसे घातक और जानलेवा बीमारियों में से एक है, वहीं काॅन्जेनाइटल रूबेला सिन्ड्रोम, अनुत्क्रमणीय जन्मजात दोषों का कारण है। भारत पहले से ही छोटी चेचक (स्माॅल पाॅक्स), पोलियो, जच्चा-बच्चा टिटेनस और याॅज़ जैसी बीमारियों को मात दे चुका है। आने वाले समय में खसरे की जंग में जीत हमें लाखों और बच्चों की ज़िन्दगियां बचाने में मदद करेगी और हम सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।उत्तराखण्ड सरकार ने युनिसेफ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा सिविल सोसाइटी संगठनों, साझेदारों, अकादमिज्ञों एवं मीडिया के सहयोग से टीकाकरण से जुड़े मिथकों को दूर करने और इसके प्रति लोगों में भरोसा पैदा करने के प्रयास किए हैं ताकि देश के हर बच्चे को अपने जीवन की सही शुरूआत करने का मौका मिले। फैलती है। 2015 में खसरे के कारण दुनिया भर में 134,200 मौतें हुईं, जिसमें से भारत में इसकी 36 फीसदी यानि 49,200 मौतें हुईं।
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