न्यूटन-भाभा फंड रिसर्चर लिंक वर्कशॉप का आइआइपी में

देहरादून-सीएसआइआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून ने सरे विश्वविद्यालय यूके की साझेदारी से आर्थिक विकास एवं कल्याण हेतु ऊर्जा विषय पर 23 से27अक्टूबर के मध्य एक पाँच-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है जो ऊर्जा से संबंधित आर्थिक विकास के मुद्दों को संबोधित करने के उपायों की दिशा में एक और योगदान है।कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन दीप-प्रज्वलन के साथ
डॉ झुमा साधुखन,संयोजक,न्यूटन-भाभा फंड रिसर्च लिंक वर्क वर्कशॉप,यूके के द्वारा किया गया। उनके साथ मंच पर डॉ अंजना रे,निदेशक,सीएसआइआर-भापेसं देहरादून डॉ टी भास्कर प्रधान वैज्ञानिक तथा समन्वयक,न्यूटन-भाभा फंड रिसर्चर्स लिंक वर्कशॉप भारत,डॉ नीरज आत्रेय, प्रधान वैज्ञानिक एवं डॉ डी सी पांडेय,प्रमुख,तकनीकी निदेशालय थे।डॉ झुमा साधुखन,सारे विश्वविद्यालय,यूके ने कार्यशाला के उद्देष्य और लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। स्वागत-भाषण डॉ टी भास्कर,सीएसआइआर-भापेसं ने दिया जिसमें उन्होंने ऊर्जा की खपत एवं आर्थिक विकास की संधारणीयता पर बल दिया। इसके पश्चात डॉ नीरज आत्रेय प्रधान वैज्ञानिक सीएसआइआर-भापेसं ने सीएसआइआर-भापेसं के योगदान तथा संस्थान के अधिदेश के साथ कार्यशाला की सुसंगतता पर बात की और कहा कि संस्थान वैकल्पिक ऊर्जा प्रणालियों पर कार्य कर रहा है और लिग्नोसेलुलोसिक जैव-मात्रा आधारित ईंधनों व रसायनों तथा जैव-जेट ईंधनों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही संस्थान जैव-मात्रा अवशिष्टों के उपयोग पर भी कार्य कर रहा है।डॉ डी सी पांडेय ने सीएसआइआर-भापेसं की पृष्ठभूमि और कार्य पर बात की।सत्र का अंत डॉ अंजन रे द्वारा भारतीय ऊर्जा परिदृष्य में आर्थिक विकास,नवाचार और संधारणीयता एवं वैष्विक मुद्दों पर संयुक्त रूप से विचार करने के अवसर विषय पर दिए गए विचारों के साथ हुआ यह कार्यशाला यूके व भारत के प्रतिनिधिशिक्षाविदों,वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक मंच प्रदान करती है जिसमें वे समान चिंतनीय विषयों और सामाजिक मुद्दों जैसे संधारणीय विकास, अपशिष्ट उपयोग तथा आर्थिक विकास पर द्विपक्षीय सहयोग की भावना से विचार-विमर्श कर सकें। इस कार्यशाला को ब्रिटिश काउंसिल रिसर्चर लिंक्स,रौयल सोसाइटी ऑव केमिस्ट्री,और न्यूटन-भाभा फंड द्वारा प्रायोजित किया गया है। यह कार्यक्रम शोध को प्रारंभ से अपनी जीवन-वृत्ति का अंग बनाने वाले अनुसंधानकर्ताओं को चुने हुए सहभागी देशों में अवसर प्रदान करता है ताकि वे पूर्णतया निधिपोषित कार्यशालाओं और यात्रा अनुदानों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय संबंध बना सकें। इससे प्रतिभागियों को उन साथी शोधकर्ताओं,व्यवसायविदों और विचार-प्रणेताओं के साथ आपसी संपर्क बनाने का महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होगा, जो ऊर्जा जनन और उसे आर्थिक विकास हेतु प्रयोग किए जाने की दिशा में शैक्षणिक स्तर पर नवाचार,संधारणीयता और उसकी प्रभावशालिता पर कार्य कर रहे हैं।व्याख्यानों और तकनीकी प्रस्तुतियों के अतिरिक्त,कार्यशाला में प्रत्यक्ष निदर्शन सत्र,संस्थान में प्रयोगशालाओं के दौरे और लघु-अवधि व दीर्घावधि सहयोग पर गोलमेज वार्ताएँ भी सम्मिलित हैं। आशा की जाती है कि कार्यशाला, प्रयोगशाला में किए गए अनुसंधान को प्रयोगोन्मुख बनाते हुए सामाजिक समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करेगी और दोनों देशा के मध्य विषयज्ञता के आदान-प्रदान के द्वारा समाज के कल्याण के लिए नए विचारों,नवाचार,नवसामग्रियों व नवीन उत्पादों को दिशा देगी। दूसरी ओर यह विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों के प्रतिभागियों के ज्ञान में बढ़ोतरी कर बहुविधा पहलुओं का सम्मिलित करते हुए उनके मार्गों में संधारणीय विकास के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का समाधान भी करेगी।

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